#श्रीमन्नारायणाचार्य “विराट”
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कुछ मैं कुछ तुम दिल पट खोले
कुछ हद पार करेंगे।
नदी नीर प्लावित पल्लव से
संगम पथ अपनाती
सागर भी लहरों से उठता
क्योंकि नदी तरसाती
पाट दिलों का मेट के अभी
ऐसा ज्वार भरेंगे
कुछ हद पार करेंगे।
ओस छटा सी पावन, मन में
खिलना है ऋतु सावन
तनमन तन मन आत्मा बनने
कर ले सरस सुहावन
अगन शीत करने हम दोनों
ऐसा प्यार करेंगे।
कुछ हद पार करेंगे।
प्रीत भरा संकेत समझकर
नयन तभी झुकजाना
आलिंगन के अमृत क्षण में
समय तभी रुकजाना
अनुभूति की अवधानों में
मौन सवार करेंगे ।
कुछ हद पार करेंगे ।।
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