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मुट्ठी भर खुशियों की खातिर,
छटपटाता इंसान
अरमानों के आईनों में,
बालू से घर बनाता इंसान।
यह वह नहीं जानता।
कि…
उसका यह घर
ढह जाएगा एक दिन,
बिखर जाएंगे इसके हर कण
हो जाएगा एक दिन चूर,
ये खुशियां होती हैं थोड़ी
इकट्ठा करता है जिन्हें वह चुन,
ये वो कलियां हैं जो एक दिन
मुरझा जाएंगी।
ये वो स्वप्निले स्वप्न हैं,
जो जाएंगे एक दिन धुल
खुशी से अच्छा तो दुख है
हमेशा साथ रहता है जो,
ये वो कलियां और
स्वप्निले स्वप्न नहीं,
ये वो कंटीले सूखे कांटे
और तेज धार तलवार है,
जिन पर हमेशा चलना है॥
#नवल पाल प्रभाकर ‘दिनकर’
परिचय : नवल पाल की शिक्षा प्रभाकर सहित एम.ए.,बी.एड.है। आप हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू भाषा का ज्ञान रखते हैं। हरियाणा राज्य के जिला झज्जर में आप बसे हुए हैं। श्री पाल की प्रकाशित पुस्तकों में मुख्य रुप से यादें (काव्य संग्रह),उजला सवेरा (काव्य संग्रह),नारी की व्यथा (काव्य संग्रह),कुमुदिनी और वतन की ओर वापसी (दोनों कहानी संग्रह)आदि है। साथ ही ऑनलाईन पुस्तकें (हिन्दी का छायावादी युगीन काव्य,गौतम की कथा आदि)भी प्रक्रिया में हैं। कई भारतीय समाचार पत्रों के साथ ही विदेशी पत्रिकाओं में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। सम्मान व पुरस्कार के रुप में प्रज्ञा साहित्य मंच( रोहतक),हिन्दी अकादमी(दिल्ली) तथा अन्य मंचों द्वारा भी आप सम्मानित हुए हैं।
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Fri Nov 24 , 2017
ग़ज़ल में शेर कह करके इशारा कर दिया जाए, कबाहत को गिराया जाए पारा कर दिया जाए। हमारी पीठ भी ख़ंजर की नीयत को समझती है, उसे हुशियार क़ातिल से दुबारा कर दिया जाए। #विवेक चौहान परिचय : विवेक चौहान का जन्म १९९४ में बाजपुर का है। आपकी शिक्षा डिप्लोमा इन […]