इस देश न आना लाडो

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diptesh tiwari

नव पल्लवित कोमल कली अभी खिली नही थी क्यारी में,
उजास अभी हुआ नही था,कुचक्र रचा अंधियारी नें,
माली बस कर ममता से रोप रहा था पौंधों को,
तभी न जाने किस दानव ने रौंद दिया घरौंदों को,

खुशियों से भरी हुई थी संसार समाया देखूंगी,
खेल कूद मस्ती और सतरंगी इंद्रधनुष भी देखूंगी,
शिखर चढूंगी,गगन छुंऊँगी आयाम नया मैं गढ़ दूंगी,
क्या पता था मुझको मैं ऐसे हैवानों के हाथ मरूँगी?

सब सपने टूट गए मेरे और टूट गया है मेरा मन,
गर्भ में ही मार दो मुझें नही लेना अब जनम,
ये ज़ालिम है दुनिया मुझे यूँ अंग अंग न काटो,
सब बहनों से बिनती मेरी इस देश न आना लाडो,

क्या उन हैवानों के भीतर कोई इंसान नही था,
आग हवस की जलती थी तो क्या कोई शमशान नहीं था,
थोड़ा तो सोचा होता हम बागों की कलियां हैं,
हमसे ही तू संसार तुम्हारी और तुम्हारी गलियां हैं

कैसी आग लगी है, इन खूनी हैवान दरिंदों में,
हिंसा का बीज उगा है ,इन हत्यारे बांझ परिंदो में,
कोई बैशाखी पकड़ा दो ,इस लंगड़े लूले शासन को,
लाल किले में लटका दो ऐसे दुष्कर्मी दुःशासन को,

जो बेटी की इज्जत से खिलवाड़ करे उसकी
छाती में गोली हो,
और उसी दरिंदे के रक्तो से रक्तिम होली हो,
अब नही सहन हो पायेगा कोई भी अन्याय,
कानून नही तो हे मानव तुम दे डालो न्याय,

मैं कलम धरोहर अपनी कविता से शोले बरसाउंगा,
अच्छे दिन की गुहार लगाने वालों को बस इतना बतलाऊंगा,
जिस दिन मेरी बहना रात ,घर को बिना डरे आजायेगी,
उस दिन ही तो अच्छे दिन की किरणें घनघोर घटा में छाएगी,

# ️दिप्तेश तिवारी
परिचय
नाम:-दिप्तेश तिवारी
पिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)
माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)
शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवा 
परमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)
जन्म स्थल:-अरगट 
प्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।