नव पल्लवित कोमल कली अभी खिली नही थी क्यारी में, उजास अभी हुआ नही था,कुचक्र रचा अंधियारी नें, माली बस कर ममता से रोप रहा था पौंधों को, तभी न जाने किस दानव ने रौंद दिया घरौंदों को, खुशियों से भरी हुई थी संसार समाया देखूंगी, खेल कूद मस्ती और […]

काँटे हों हजारों मंजिलों की राह पर, यूँ घबराया नही करते, और पुरुष जो वीर होते है , यूँ मुश्किलों में हारा नही करते, न तेरे ,न मेरे यूँ वक्त तो नही किसी के हाथ में, जब मील मौका तो लक्ष भेदा करो, यूँ मौके बार-बार नही मिलते, कर्मयोगी कर्म […]

उठे शान से अम्बर में तीन रंग का चोला अपनी पहचान हो, हर युवा हिंदुस्तानी बोल रहा वंदेमातरम गान हो, झुके शीस गर मेरा तो  मेरे भारत मां को प्रणाम हो, और विस्वपटल में सबसे ऊँचा अपना हिंदुस्तान हो, उत्तर में कलकल करती गंगा और पर्वतराज हिमालय है, ऋषि मुनियों […]

मेरी माँ गीत है , प्यार संसार की, मेरी माँ मुझको मिली है, फूल फुलवार की, मेरी माँ हैं गीत हैं ,प्यार संसार की, मेरी माँ मुझको मिली है,फूल फुलवार की, पानी में भी खिले वो, मैथिल कमल सरोज है। दीप की बाती वही, मुख मेरी वो ओज है।। मेरी  […]

मुझको युद्ध नही विराम पसन्द है, मुझको संघार नही सृंगार पसन्द है, लेकिन दूषित कर दे जो मेरे तन मन को, तब केवल और केवल परशुराम पसन्द है, मुझको तो दुर्गम अनुसंधान पसन्द है, मुझको केवल स्वेत परिधान पसन्द है, लेकिन लहू से लतपत लालित होजाऊँ, तो मुझको शत्रुओं का […]

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पूरी घाटी चमक रही थी चाँद सितारे झंडो से। कश्मीर में हवा चली थी अफजल के ही नारों से। सेना ने इस बार तमाचा ही जकड़ दिया। और घर घर जाके अफजल को ही मार दिया।। अरे निकम्मो कुछ तो शर्म करो। अपने भीतर झाको कुछ तो हरम करो। तुमने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।