भ्रष्टाचार की नगरी में
लक्ष्मी लक्ष्मी हो रहा।
हर तरफ फैल रहा
फिर भी सो रहा
हर जगह उपद्रव है
हर नगर में शोर
अपने अपनों से
देखो दूर हो रहा
भ्रष्टाचार की नगरी में
लक्ष्मी लक्ष्मी हो रहा।
लक्ष्मी भक्त का कहर
गरीब गाँव शहर
दिन रात रो रहा
खुशियों के
त्योहार पर भी अब
अदालतो का चक्कर लग रहा
फिर भी देखो
लोभ क्रोध हिंसा का
अंत नही हो रहा
भ्रष्टाचार की नगरी में
लक्ष्मी लक्ष्मी हो रहा।
सत्य और पराक्रम
का उदय नही हो रहा
रोज फैल रहा अंधेरा
रोज नये रावणों का
वसेरा कयों हो रहा
भ्रष्टाचार की नगरी में
लक्ष्मी लक्ष्मी हो रहा।
पग-पग पर हर वेश
मे छुपा रावणो का
साम्राज्य क्यों फैल रहा
सुंदर शरीर मन मैला
जिसे देखो बना विषैला
फैशन बन रहा
भ्रष्टाचार की नगरी में
लक्ष्मी लक्ष्मी हो रहा।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति