समंदर कभी रोया नही करते

0 0
Read Time2 Minute, 1 Second

diptesh tiwari

काँटे हों हजारों मंजिलों की राह पर,

यूँ घबराया नही करते,

और पुरुष जो वीर होते है ,

यूँ मुश्किलों में हारा नही करते,
न तेरे ,न मेरे यूँ वक्त तो नही किसी के हाथ में,
जब मील मौका तो लक्ष भेदा करो,

यूँ मौके बार-बार नही मिलते,

कर्मयोगी कर्म से साधता है पर्वतों ,चट्टानों को,
हाथ कि इन लकीरों के भरोसे बैठा नही करते,
और सफल हो कर भी सम्मान सब का करो,
क्योकि जुगनू कभी सूरज से अकड़ा नही करते,
यूँ तो तुमसे बड़े ,काबिल कोने में खड़े रहते है,
क्योकि वो कभी छोटों से प्रतिस्पर्धा नही करते,

गर दृढ होगया लक्ष तो हाथ से गांडीव छोड़ा नही करते,
और चल दिये जिस राह में फिर उसे मोड़ा नही करते,
यूँ तो माशूका से इश्क करता है जमाना
लेकिन पढ़ते समय होशियार दिल किसी से लगाया नही करते,

करोगे कुछ नया तो गिरोगे जरुर,
लेकिन हार माना नही करते,
गरजते है जो घुमड घुमड़ मेघ
वो अक्सर बरसा नही करते,
और मेहनत-ए-बे-दाम” में जियो जिंदगी
क्योकि समंदर कभी रोया नही करते,

# ️दिप्तेश तिवारी
परिचय
नाम:-दिप्तेश तिवारी
पिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)
माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)
शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवा 
परमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)
जन्म स्थल:-अरगट 
प्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हिंदी के विकास में हिंदीतरभाषियों का अनन्य योगदानः प्रो. कृपाशंकर चौबे

Wed Jul 10 , 2019
वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा है कि हिंदी के उन्नयन में हिंदीतर भाषियों का बहुत योगदान है। प्रो. चौबे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।