रुद्राभिषेक

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sushil
एक बहुत बड़े संत का धार्मिक आयोजन हो रहा था। पूरे शहर में पोस्टर-बैनर पटे पड़े थे। बहुत बड़ा यज्ञ था। सारे मंत्री-विधायक यज्ञ की देख-रेख में लगे थे। हर दिन लाखों मिट्टी के शिवलिंग बनाकर शिवार्चन हो रहा था। आसपास के खेतों से टनों मिट्टी लाई जा रही थी। आसपास के सभी विल्ब-शमी के पेड़ों की शाखाएं तोड़कर लाई जा रही थी। मेरे आंगन के बिल्ब और शमी का पेड़ भी नहीं बच पाया। सभी अपने वाले आ गए, कहने लगे-भाई साहब,पुण्य का काम है,मना मत कीजिए।
मैं चुपचाप बिल्ब और शमी के पेड़ को लुटते हुए असहाय-सा देख रहा था।
मैदान में रुद्राभिषेक चल रहा था। मैं अनमना-सा खड़ा था। तभी चमत्कार हुआ और देखा कि उस ठूंठ से विल्ब के पेड़ पर शिव जी क्रोधित मुद्रा में बैठे हैं। मैंने डरते हुए पूछा -प्रभु आप यहां! आपको तो मैदान में होना चाहिए।
प्रभु गुस्से में बोले-जहां प्रकृति का विनाश करके मेरी पूजा हो,वहां पर मैं नहीं हो सकता।
मैंने कहा-प्रभु मैं धन्य हुआ,जो आपने मुझे दर्शन दिए।
मैं तुम्हें दर्शन देने नहीं,चेतावनी देने आया हूँ। अगर इसी तरह तुम लोग दिखावे में आकर मेरे नाम पर प्रकृति का विनाश करते रहे तो,वो दिन दूर नहीं जब मनुष्य नाम का जीव इस पृथ्वी पर नहीं बचेगा,भगवान शिव ने मुझे दुत्कारते हुए कहा।
मैं भय से थरथर कांप रहा था। उन्होंने लगभग लताड़ते हुए कहा-जाओ और उस पंडाल वाले बाबा से कह दो-‘मैं इस दिखावे की प्रकृति विनाश और समय बर्बाद वाली पूजा से प्रसन्न नहीं हो सकता। अगर मुझे पाना हो तो प्रकृति को बचाओ,पौधे लगाओ,पानी बचाओ,क्योंकि मेरी आत्मा प्रकृति में बसती है।’
इतना कहकर भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए।
तभी पंडाल से बुलावा आ गया कि, महाराज जी शिव अभिषेक के लिए बुला रहे हैं।
पंडित मंत्र उच्चारित कर रहे थे-
‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्र च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।’
शिव अभिषेक में शिव जी पर बिल्ब पत्र चढ़ाते हुए हर विल्ब पत्र में मुझे शिव जी का क्रोधित चेहरा नजर आ रहा था।

                                                                                    #सुशील शर्मा

परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।