खून की होलियाँ

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manoj kumar manju

आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से

सीमा पर तो रण करलेंगे निपटें कैसे खोटों से

कौन कहे इन हैवानों की करतूतें कब होंगी कम

बच्चा बच्चा चीख रहा है और सभी की आँख है नम

जुबां जुबां बोले फिर अब तो इन्कलाब की बोलियाँ

अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

 

शरहद के रखवाले कीमत देशद्रोह की चुका रहे

कुछ जयचंद घरों में बैठे शीश देश का झुका रहे

अपनी धरती अपना आंगन हमें जान से प्यारा है

कैसे बंट जाने दें इसको ये कश्मीर हमारा है

घर घर छुपी हुई है इन पत्थरबाजों की टोलियाँ

अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

 

सत्ता की चाहत ने इनको गिरा दिया है इतना क्यों

लालच में कर बैठे देखो अपनी माँ का सौदा क्यों

अपने वीर जवानों के साहस पर इनको शंका है

लेकिन दुनियां मान चुकी अपनी सेना का डंका है

दुश्मन तो दुश्मन अपने भी दाग रहे हैं गोलियां

अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

दुनियाँ भी पहचान चुकी आतंक किसी का सगा नहीं

बचा नहीं कोना ऐसा अब जिसको इसने रंगा नहीं

फिर भी कुछ सत्ता के लोभी गले इन्हें ही लगा रहे

कुछ को भटके हुए किसी को मासूमों सा बता रहे

खण्डित हुई अजान छीन ली इसने चन्दन रोलियां

अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

 

धर्म युद्ध में वीर सैनिकों तनिक न घबरा जाना तुम

घर में भी कुछ छुपे भेड़िये इनको सबक सिखाना तुम

माँ को तुम पर गर्व तू ही तो अब अपना अभिमान है

शान तिरंगा है भारत का वीर देश की जान है

वीर सपूतों से भारत की भरी हुई हैं झोलियाँ

अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

                                   

#मनोज कुमार “मंजू”
           परिचय
पूर्ण नाम~ मनोज कुमार
साहित्यिक नाम~ मनोज कुमार “मंजू”
जन्म स्थान~ मैनपुरी
वर्तमान पता~ “अयोध्या-सदन”
                 इकहरा, बरनाहल, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
स्थाई पता~ “अयोध्या-सदन”
                इकहरा, बरनाहल, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
भाषा ज्ञान~ हिंदी, अंग्रेजी
राज्य/प्रदेश~ उत्तर प्रदेश
ग्राम/शहर~ “अयोध्या-सदन”
               इकहरा, बरनाहल, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
पूर्ण शिक्षा~ बी. ए.
कार्यक्षेत्र~ शिक्षक
सामाजिक गतिविधि~ सक्रिय सदस्य एवं कोषाध्यक्ष,                  युवा जागृति मंच मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
लेखन विधा~ मुक्तक, दोहे, घनाक्षरी, कुण्डलिया, कविता, गीत, कहानी, उपन्यास आदि
सम्पादक- वर्जिन साहित्यपीठ, दिल्ली
प्रकाशित पुस्तकें~ छेड़ दो तार- काव्य संग्रह
प्यार के फूल- कहानी संग्रह, बदल दो माहौल- मोटीवेशनल बुक
प्राप्त सम्मान~ हिन्द वीर सम्मान- साहित्य संगम संस्थान दिल्ली
सूर्यम साहित्य रत्न- सूर्यम साहित्य सागर मैनपुरी
साहित्य सारथी सम्मान- 2018
कवि चौपाल मनीषी सम्मान- 2018
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान- 2018
लेखनी का उद्देश्य~ मातृभाषा हिंदी को प्रसारित करना

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।