
‘रसानुभूति’ द्वारा आयोजित हुयी पंचम परिचर्चा
इंदौर। आचार्य कुन्दकुन्ददेव किस एक परिधि के नहीं अपितु सच्चे सुख के पथदर्शक हैं। वास्तव में वे एक आम्नाय हैं जो जीवों को सहजता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आज भी जीवन-मरण की व्याख्या का सिद्धांत जो आचार्य कुन्दकुन्ददेव ने प्रतिपादित किया आज उस पर चलने/अपनाने की आवश्यकता है!
ये उद्गार अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् तत्त्ववेत्ता डॉ. हुकमचन्द जी भारिल्ल, जयपुर ने सर्वोदय अहिंसा ट्रस्ट, मातृभाषा उन्नयन संस्थान एवं सर्वोदय जैन टीचर्स शिक्षा फाउन्डेशन द्वारा आयोजित हिन्दी साहित्य में जैन आचार्यों, साहित्यकारों के साहित्यिक,सामाजिक,धार्मिक,सांस्कृतिक और नैतिक अवदान को परिलक्षित करती वैश्विक फलक पर साहित्यिक विमर्श की श्रृंखला रसानुभूति के अन्तर्गत पंचम परिचर्चा के दौरान व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ परिचर्चा संचालक अंकुर शास्त्री, भोपाल के द्वारा मंगलाचरण तथा डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ के स्वागत भाषण से हुआ। इसी क्रम में डॉ. अरविन्द जैन भीलवाड़ा ने जैन टीचर्स शिक्षा फाउन्डेशन का परिचय भी प्रस्तुत किया।
इस परिचर्चा में आमन्त्रित विद्वान् प्रवक्ता प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन, विभाग प्रमुख प्राकृत एवं जैनागम विभाग ने प्रश्नों का उत्तर देते हुये कहा कि भाषायी रूप से आचार्य कुन्दकुन्ददेव सबसे समृद्धशाली और अनुकरणीय आचार्य रहे हैं! जिनने सम्पूर्ण जीवों के हित की बात कही। वे सच्चे अर्थों में गूढ़ रहस्यों के उद्घाटक आचार्य थे! साथ ही विद्वान् प्रवक्ता डॉ. श्रीयांस कुमार सिंघई, जयपुर ने भी आचार्यकुन्दकुन्ददेव के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा – आचार्य कुन्दकुन्ददेव परम्परा के विरोधी नहीं अपितु अध्यात्म के पुरोधा आचार्य हैं।
मीडिया सहयोगी प्रद्युम्न फौजदार ने बताया कि इस परिचर्चा की अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, जयपुर ने की!
इस पंचम परिचर्चा का विषय आचार्य कुन्दकुन्ददेव के आचार्य पदारोहण दिवस के अवसर पर आचार्य कुन्दकुन्ददेव और उनका साहित्यिक प्रदेय था, जिसमें अनेक विद्वानों और साहित्यकारों द्वारा जिज्ञासायें व्यक्त कीं जिनका समुचित समाधान इस चर्चा में आमन्त्रित विद्वान् प्रवक्ताओं द्वारा किया गया।
परिचर्चा का संचालन अंकुर शास्त्री एंकर कम एडिटर, दूरदर्शन भोपाल एवं गणतंत्र ओजस्वी आगरा ने साथ किया। आभार- प्रदर्शन संजय जी सेठी, जयपुर द्वारा किया गया।
बताया कि इस परिचर्चा के संयोजक गणतंत्र जैन ओजस्वी, संजय शास्त्री, सर्वोदय अहिंसा एवं डॉ. अरविन्द शास्त्री भीलवाड़ा,मीडिया सहयोगी सचिन मोदी एवं दीपक राज रहे।
इस परिचर्चा में टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय, शाश्वत धाम, ध्रुवधाम आदि संस्था के छात्र, अनेक साहित्यिक मनीषी, शोधार्थी, शिक्षा शास्त्री, शिक्षाविद् के अतिरिक्त डॉ. राकेश जी नागपुर, पं. राजकुमार जी उदयपुर, पं. सुनील जी राजकोट, पं. रिषभ जी छिन्दवाडा, अजित जी अलवर, डॉ महेन्द्र जी मुकुर मुम्बई, डॉ. मनीष जी मेरठ, डॉ. सुमत जी उदयपुर, डॉ. वीरचन्द जी, पं. निलय जी आगरा, निपुण जी भोपाल, गजेन्द्र जी गोंडल, अमोल जी हिंगोली, आशीष शास्त्री, डॉ. मानमल जी कोटा, शुभम जी ज्ञानोदय के साथ ही डॉ. नीना जोशी, नरेन्द्रपाल जैन, भावना शर्मा, नीतेश गुप्ता आदि अनेक साथी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सर्वोदय अहिंसा के यूट्यूब एवं फेसबुक चैनल पर किया गया जिसे देश विदेश के हज़ारों लोगों ने लाइव देखा।