आखिर वो मेरी पत्नी है

0 0
Read Time2 Minute, 37 Second

ajay ahsas

वो विरह वेदना सहती है, फिर भी न वो कुछ कहती है
चाहें दिल में हो दर्द भरा, पर सदा प्रेम में बहती है
वो सहनशील भी कितनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
जब भी बीमार मैं हो जाता, दादी के नुस्खे बतलाये
दो और दो चार नही जोड़े, परिवार जोड़ना सिखलाये
वो पढ़ी लिखी ही कितनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
वो समझदार है कम ही सही,पर जोर चले न ठगिनी के
वो चूल्हा चौका सब करती, पांवो में निशां हैं अग्नी के
वो आग मे तपती कितनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
सब मुसीबतों से बचने को, पाई से पाई जोड़़ दिया
जब जब मुसीबतें आयी है,सब शौक ही अपना छोड़ दिया
वो शौक छोड़ती अपनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
मैं शाम को जब भी घर जाता, वो दौड़ी दौड़ी आती है
कुछ खाये पीये नही आप, वो तुरत नाश्ता लाती है
वो प्यार लुटाती कितनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
सुख दुख में कैसे चलते है, मुझको बतलाती रहती है
वो पढ़ी लिखी तो नही बहुत, मुझको समझाती रहती है
फिर भी अनुभवी वो कितनी है, आखिर वो मेरी पत्नी है।
मुझे विदा करने को सुबह, दीवारों से वो लिपट जाती
जैसे ही शाम को मैं आता ,वो आकर मुझमें सिमट जाती
बेचैन वो रहती कितनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
हाथों मे उठा सामानों को ,वो उनकी तौल बताती है
उसने न गणित में वृत्त पढ़ा,पर रोटी गोल बनाती है
वो कलाकार भी कितनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।
ईश्वर से दुआ मैं करता हूं ,वो हरदम मेरे साथ रहे
और अच्छेे सच्चे मित्रों सा,हाथों में उसके हाथ रहे
बस मेरी दुआएं इतनी है,आखिर वो मेरी पत्नी है।।

#अजय एहसास

परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

तुम ही तुम ख्यालों में

Thu May 23 , 2019
भा गया मुझको वो लुभाना तेरा दूर जाना कभी पास आना तेरा गजब की वो सारी मस्ती तेरी नजरें मिलाना और चुराना तेरा पागल ही किया तेरे अंदाज ने तेरी अदा और मुस्कुराना तेरा बिखरी सी लटें माथे की बिंदिया होश मेरे उड़ाए सीने से लगाना तेरा शोखी वो शरारत […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।