शून्य से शून्य तक

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aasha amit nashine
परमात्मा से जब शरीर रूप पाया
तब हम सभी शून्य ही तो थे
चेहरे की आकृति थी शून्य,
कल्पना शून्य,भाव शून्य,
ख़्वाहिशें भी शून्य थी।
शून्य से सफर शुरू हुआ था,
शून्य पर विदाई भी होगी
यही है गणना का आधार
धरा,नभ का आकार शून्य सा,
आदि से अंत तक शून्य ही है।
आखिरी शून्य तक जाने से पहले,
क्यो न खुद को कर ले शून्य
न कोई चाह ,न ही होड़ रहे,
सवालों की उथलपुथल से बचें
काश के कशमकश से परे।
ख़्वाहिशों की गठरी फेंक दें,
विचारहीन हों ,इस शून्य में
एक अंतरध्वनि जो अंदर ही सुनें
फिर कोई दर्द नहीं होगा,
उस शून्य तक पहुँचने से पहले।
बहुत अद्भुत है यह डगर,
आत्मा चलायमान हर क्षण।
*शून्य से शून्य तक*
#आशा_अमित_नशीने
 
परिचय-आशा अमित नशीने 
W/o अमित नशीने 
शिक्षा-बी.  एस. सी.
          एम. ए.(इंगलिश)
           पी. जी. डी. सी. ए.
पता-राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़)

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