देश के विविध प्रांतों के तेइस साहित्यकार आयोजित कर रहे हैं तिनसुकिया में वार्षिकोत्सव*

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साहित्य संगम संस्थान सबका प्रयास, सबका विश्वास, सबका विकास पर कार्य करते हुए सबको सहभागिता का सुअवसर प्रदान करता है । इसी आधार पर देश के विविध प्रांतों के विविध वर्गों से जुड़े साहित्यकार साहित्य संगम संस्थान का वार्षिकोत्सव २ जून को तिनसुकिया में साझा आर्थिक सहयोग कर करा रहे हैं । इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आ०कुमुद श्रीवास्तव लखनऊ, आ०रिखब चन्द राँका कल्पेश जयपुर राजस्थान, आ०हरीश बिष्ट जी रानीखेत उत्तराखंड, आ०इंदु शर्मा शचि दी तिनसुकिया असम, डॉ अरुण श्रीवास्तव सीहोर म०प्र०, डॉ०छगनलाल गर्ग विज्ञ सिरोही राजस्थान, आ०अनिता मंदिलवार सपना दी छ्त्तीसगढ़, आ०सरिता श्रीवास्तव प्रयागराज, आ०लता खरे दी छत्तीसगढ़, आ०राजलक्ष्मी शिवहरे दी जबलपुर, आ०रामावतार बिंजराजका निश्छल जी रायगढ़-चक्रधरपुर- बिहार, आ०कविराज तरुण सक्षम जी लखनऊ, आ०कुमार रोहित जी दिल्ली, आ०नवल किशोर सिंह जी हैदराबाद, आ०छाया सक्सेना प्रभु दी जबलपुर, आ०शिवकुमारी शिवहरे दी म०प्र०, आ०आरती डोंगरे दी म०प्र० ने आर्थिक सहयोग किया है । इस कार्यक्रम को संपादित करने हेतु कुछ और सहयोगी साहित्यकारों ने आर्थिक सहयोग की घोषणा की है । जिनके नाम इस प्रकार हैं – राज वीर सिंह तरौंदा कानपुर, आ०किसनलाल अग्रवाल चक्रधरपुर, आ०संवरमल अग्रवाल रासिवासिया जी तिनसुकिया, आ०सूर्यकांत गुप्त जी छत्तीसगढ़, आ०शिवशंकर बोहरा जी, आ०राजेश तिवारी रामू सतना, आ०अजय सिंह मंडलोई जी म०प्र० । इस अवसर पर देश के जाने-माने साहित्यकार वार्षिकोत्सव में शिरकत करेंगे । जिनमें आ०रिखब चन्द राँका कल्पेश जयपुर राजस्थान से होंगे, राजवीर सिंह तरौंदा कानपुर से, आ०रामावतार बिंजराजका निश्छल जी रायगढ़ छत्तीसगढ़ से, डॉ राजलक्ष्मी शिवहरे दी जबलपुर से तथा आ०सरिता श्रीवास्तव प्रयागराज के आने की पुष्टि हो गई है । तिनसुकिया शाखा के समस्त पदाधिकारी इस कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे । और भी देश के विविध प्रांतों से कई कवियों के पहुँचने की संभावना है । यह कार्यक्रम इस बार तिनसुकिया असम में ग्रीष्मावकाश में इसलिए आयोजित किया गया है कि जिन लोगों की पूर्वोत्तर भ्रमण की इच्छा हो वे कार्यक्रम के बाद या पहले वहाँ घूम सकें । वार्षिकोत्सव में योग संगम विशेषांक सहित कई आर्थिक सहयोगियों के काव्यमेध और निजी पुस्तकों का भी विमोचन होगा । आर्थिक सहयोग करने वाले साहित्यकारों को संस्थान एक-एक रंगीन चौबीस पृष्ठीय रचनाकार की खुद की रचनाओं पर आधारित काव्यमेध की पुस्तकें मुद्रित कराकर भेंट स्वरूप प्रदान करेगा ।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।