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कोई पागल समझता है,
कोई नादाँ कहता है।
तेरे प्यार में जानम,
क्या क्या सुनना पड़ता है।
ज़माने के लोगो को,
कुछ भी कहना होता है।
कोई पागल समझता है,
कोई दीवाना कहता है।।
झुकाकर पलके अपनी,
सलाम तुम को करते है।
दुआ दिल कि बस हम,
तुम्हारे नाम करते है।
कबूल हो तो मुस्कराकर,
हिला देना तुम अपना सिर।
तुम्हारी मुस्कराहट पर,
ये दिल कुर्बान करते है।।
कोई नादाँ समझता है,
कोई दीवाना कहता है।
तेरे प्यार में जानम,
क्या क्या सुनना पड़ता है।
जिक्र जब भी अपनों किया करोगी ये जानम,
नाम मेरा भी तुम उनमे,
लेना ये जानम।
अच्छाई में नहीं तो,
बुराई में ही सही।
चंद लफ्जो में ये जानम,
हमें भी याद कीजियेगा।।
कोई पागल समझता है,
कोई दीवाना कहता है।
तेरे प्यार में जानम,
क्या क्या सुनना पड़ता है।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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Sat Apr 27 , 2019
मां जैसा कहीं प्यार नही है,, मां के आगंन सा कोई ससांर नही है,, बेटे फिर भी पास है रहते,, क्यूं बेटी का मां पर अधिकार नही है,, भारी पीड़ा भी बेटी ” मां ” से कह देती है, फिर बेटी से विरह को मां कैसे सह लेती है,, मां […]