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बेटियो कि मत करो,
लोगो अब उपेक्षा।
परिवार कि जान-शान,
होती है बेटियां।
घर में खुशाली लेकर,
आती है बेटियां।
संस्कारो के बीज,
बोती है बेटियां।
बेटा अगर हीरा है,
तो मोती है बेटियां।
नरम-गरम स्वभाव कि,
होती है बेटियां।
हर कार्य में निपुर,
होती है बेटियां।
माँ बाप का ख्याल,
रखती है बेटियां।
सास और सुसर को,
माँ-बाप समझती है बेटियां।
दो दो परिवारो को,
सभालती है बेटियां।
सुख दुःख में साथ सदैव,
निभाती है बेटियां।
शिक्षा-दीक्षा में भी,
आगे है बेटियां।
बेटो से आगे निकल गई है,
आज कल बेटियां।
कुल देश और समाज का,
नाम रोशन कर रही है बेटियां।
दहेज कि शूली पर भी ,
चढ़ रही है बेटियां।
दुष्कर्म को भी सहती,
है हमारी बेटियां।
बलात्कार कि शिकार
होती है बेटियां।
लोगो द्वारा किया गया,
अत्याचार सहती है बेटियां ।
लोगो का मनोरंजन,
भी करती है बेटियां।
बहिन बेटी पत्नी, बहु,
माता का फर्ज
निभाती है बेटियां।
यदि वक्त पड़ जाए तो,
शास्त्र उठती है बेटियां।
रणभूमि में दुर्गा,
लक्ष्मी बाई,
बनकर कूदती है बेटियां।
प्रेम प्यार में मीरा राधा,
राँझा, लैला बनकर
दिखती है बेटियां।
अपना सब कुछ दाव पर,
लगा देती है बेटियां।
और अपने परिवार को,
संकट से उभर लेती है बेटियां।
सामाजिक गतिविधियों में,
आगे आती है बेटियां।
बेटो से बढ़ाकर अपना,
धर्म निभाती है बेटियां।
स्नेह-प्यार, ममता कि,
भंडार है बेटियां।
सच मानो तो बेटो से,
बढ़ाकर है बेटियां।
बेटियो कि मत करो,
लोगो अब तो उपेक्षा।
दो कुलो का रिश्ता,
निभाती है बेटियां।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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Tue Apr 23 , 2019
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