“धैर्य”

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poonam
क्यों रखूं मैं धैर्य ?
क्या मिला है
मुझे धैर्य रखकर ?
अधीर हो किसी ने
बुलंदी को छू लिया
धैर्य रखकर हमने
फिसलते वक्त को देखा
धैर्यवान को
सब पाठ पढ़ा जाते हैं
मानों जैसे उसके
अवगुण को दर्शा जाते हैं
हाँ नाम मजबूरी का
धैर्य को दे जाते हैं
और अपनी अधीरता पर
फिर वो इठलाते हैं
हमें भी सोचने पर
मजबूर वो कर जाते हैं ,
पर शायद….
वो कुछ भूल जाते हैं
कि धैर्य परमात्मा की
दी हुई वो अनुपम भेंट है
जो सभी को
प्राप्त नहीं होता
जिसके पास विवेक है
वही धैर्यवान हो सकता है
जो संतोषी है
वहीं धैर्य का वास है
जहाँ अहंकार नहीं
धैर्य का वहीं निवास है ।

           #पूनम झा

परिचय: पूनम झा राजस्थान के कोटा से हैं l आप  ब्लॉग लिखती हैं और फेसबुक पर भी साहित्यिक समूहों में सक्रिय हैं l पुस्तकों,पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ,मुक्तक और लघुकथाएँ इत्यादि प्रकाशित होती रहती हैं l

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