नहीं लगा पाओगे इसका अनुमान कौन है जहान में कितना परेशान किसी के जीवन में है कितनी खुशी अंदाज़ा ना लगाना देख उसकी हँसी चाहत नहीं होती फिर भी चाहना पड़ता है ग़मों को छिपाकर मुस्कुराना पड़ता है बहते हैं उनके अश्रु भी जो सुख में जीवन जीते हैं दिखें […]

वो हैं सबसे अच्छे वो सबसे प्यारे हैं पापा के पिताजी दादाजी हमारे हैं जागते हैं सवेरे भजन सुनाते हैं जगाकर मुझको योग करवाते हैं होती है शाम जब मैदान लेकर जाते हैं खुद तो चलते हैं धीरे मुझको दौड़ाते हैं खेलते हैं मेरे संग कहानियाँ सुनाते हैं पढ़ना भी […]

हे हंसवाहिनी माँ हे वरदायिनी माँ अज्ञान तम से हूँ घिरा अवगुणों से हूँ मैं भरा सुमार्ग भी ना दिख रहा जीवन जटिल हो रहा ज्योति ज्ञान की जलाकर गुणों की गागर पिलाकर सत्पथ की दिशा दिखाकर जीवन सफल बना दो माँ हे हंसवाहिनी माँ हे वरदायिनी माँ तू ही […]

नित प्रगति की राह पर विग्यान रोशन हो, आपका भी ख्वाब और अरमान रोशन हो, ओ पुजारी दीप- दीवाली और वतन के, जलाओ दीप ऐसे कि हिन्दुस्तान रोशन हो।। खरीदें दीप माटी के तो रज का मान बढ़ जाये, स्वदेशी की धरा धारा और सम्मान बढ़ जाये, जलायें दीप खुशियों […]

पुत्र ज्येष्ठ है यदि तू अपने कुल का तो संघर्षों और विपत्तियों से मत डर चाहता है अनुज हो तेरा लक्ष्मण जैसा पहले तू स्वयं राम-सा कर्म तो कर अपने पिता के वचन की लाज निभाने ज्येष्ठ जटिल जीवन पथ अपनाते हैं हो प्राप्त विजय अनुजों को इसलिए सहर्ष वो […]

सन् निन्यानवे था थी वो माह जुलाई शत्रु से हमारी पुनः छिड़ी हुई थी लड़ाई मार रहे थे शत्रुओं को हमारे वीर महान् राष्ट्र की रक्षा हेतु दे रहे थे बलिदान दिन सोमवार था वो तिथि छब्बीस जुलाई कारगिल पर जब भारत ने जय पाई नमन उन वीरों को वो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।