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आओ मिलके खुशियां मनाएं ,
अपनों को हम रंग लगाएं /
होली का रंग,अपनों का संग,
एक दुसरो पर, डाले हम रंग //
राधा का रंग, और कान्हा की पिचकारी ,
प्यार के रंग से , रंग दो दुनियाँ ये सारी /
ये रंग न जाने कोई, जात न कोई बोली ,
आओ मिला कर, मनाये रंगो की होली //
रंगों की बरसात है, हाथों में गुलाल है ,
दिलो में राधा कृष्ण, जैसा ही प्यार है /
चारो तरफ मस्त, रंगो की फुहार है,
बुरा न मानो यारो, ये रंगो का त्यौहार है //
बड़ा ही विचित्र, ये रंगो का त्यौहार है ,
जो दिलो में रंग, बिरंगी यादे भरता है /
देवर को भाभी से, जीजा को साले से ,
स्नेह प्यार से, रंगो की होली खिलता है /
और अपनों का प्यार बरसता है //
मिलने मिलाने का, ये त्यौहार है /
शिकवे शिकायते, भूलाने का त्यौहार है /
दिलो को दिल से, मिलाने का त्यौहार है /
सच मानो यारो, यही होली का त्यौहार है /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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