Read Time2 Minute, 13 Second
विधाता ने क्या बनाया है ,
अपनों को ही अपने खेल से नचाया है /
कितनी विचित्र सी बात है लगाती है ,
मनुष्य को धोखा, मनुष्य नही देता है /
बल्कि वो उम्मीदे, धोखा दे जाती है ,
जो वों दुसरो से हमेशा रखता है //
ये जिंदगी तमन्नाओ का, गुलदस्ता है ,
जो कभी महकती है, तो कभी मुरझाती है/
और कभी हमारे दिलो को चुभ जाती है ,
लेकिन फिर भी जिंदगी, हमें फलने देती है //
कितना विचित्र खेल शादी बनाया सृष्टि ने ,
इसमें जो दूसरे के घर से आती है,
वो ही सबसे प्यारी उसकी हो जाती है /
फिर दोनों ही अपनो से एकाएक दूर हो जाते है /
इंसान कितने जल्दी, दूसरे का हो जाता है,
माँ बाप बहिन भाई उसके सगे होते हुए भी /
दूसरे के घर की संतान को अपनाता है /
और अपनो के रिश्तो को भूल जाता है /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
Post Views:
509