लहराये तिरंगा
मंजिल की ओर
बढाए तिरंगा
गणतंत्र दिवस पर
जोश बढाए तिरंगा।
तेरे नीचे नतमस्तक हैं
देते सभी सलामी
तेरे रक्षा की खातिर
हँसते-हँसते देते कुर्बानी
लहराये तिरंगा
मंजिल की ओर
बढाए तिरंगा।
शौर्य शांति हरित क्रांति
का प्रतीक तिरंगा
उजला हरा केशरिया
सभी के रगो में समाया तिरंगा
लहराये तिरंगा
मंजिल की ओर
बढाए तिरंगा।
स्वच्छता सौम्यता
आदर्शों से भरा तिरंगा
राष्ट्रवाद का जोश बढाता
मातृभूभि का श्रृंगार तिरंगा
लहराये तिरंगा
मंजिल की ओर
बढाए तिरंगा।
शान है इसके कभी न रूके
ऐसे विचार लाये तिरंगा
बूरी नजर जो इस पर डाले
पलभर में औकात दिखाये तिरंगा
लहराये तिरंगा
मंजिल की ओर
बढाए तिरंगा।
कभी न थकते, कभी न रूकते
हाथो में जब आ जाए तिरंगा
अभिलाषाएँ जगा जातीं
कफन के बदले मिल जाये तिरंगा
लहराये तिरंगा
मंजिल की ओर
बढाए तिरंगा।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति