#अविनाश तिवारी
अमोरा जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ
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मां
मां देवी का रूप है,
ममता की है खान।
करे तपस्या शिशु हित में
धरती की भगवान।।
पिता
पिता हृदय सागर बसे,
पर्वत सा जो गम्भीर।
कठोर बने पुत्र हित में
सँवार दे तकदीर।।
पुत्र/सुत
पुत्र वही जो मान रखे,
पिता की रखे लाज।
मर्यादा में काज करे
विवेकी हो विचार।।
भाई
भरत लखन सा भाई हो,
मन की जाने बात ।
अनुरागी जो चित रखे,
स्वार्थहीन व्यवहार।।
बहन
प्रेम की दीया बहना
अंगना जो दमकाय
बात बात में गुस्सा कर
मर्जी अपनी चलाय।।
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