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राजतंत्र उखाड़ा हमने, आज का लोकतंत्र निराला है।
चाबी है भूखे नेताओं के पास , प्रजातंत्र के ताला है ।।
नेताओं के वादों ने,जनता को गुमराह कर डाला है।
बहाया है पैसा खरबों, ये तंत्र राजशाही का साला है।।
आज़ाद भारत ने सोचा,देश का संविधान रखवाला है ।
प्रश्न इस न्यायपालिका पर, ये कानून मिटने वाला है।।
सत्ता के भूखे नेताओं ने, आज पहनी विजय माला है।
धर्म के नाम हिंसा फैलाओ,अब ये नारा दे डाला है।।
ताला जड़ा गरीबी के , देश में भ्रष्टाचार को पाला है।
आजादी के सत्तर वर्षों में, इन्होंने कचूमर निकाला है।।
बहनों की इज्जत साख में,हिंसा का फैला जाला है।
सपने है विकसित भारत के,आज गंगा गंदा नाला है।।
गाँधी सुभाष के देश में, रामरहीम आसाराम को पाला है।
धर्म के नाम मानवता बिकती,नेताओं का काम निराला है।।
खून पसीने की कमाई को, मँहगाई ने जला डाला है।
‘शनि’ कर सेवा देश की, ये लोकतंत्र ही बचाने वाला है।।
#सुनील कुमार पारीक ‘शनि’
परिचय : सुनील कुमार पारीक का साहित्यिक उपनाम-शनि हैl आपकी जन्मतिथि-१ दिसमबर १९८९ तथा जन्म स्थान-सिकराली (राजस्थान) है। वर्तमान में आपका निवास राजस्थान राज्य के चुरू जिला स्थित गाँव-बम्बू में हैl बी. ए.,बी.एड.,एम.ए.(हिन्दी) तथा एम.एड. शिक्षित श्री पारीक का कार्यक्षेत्र-व्याख्याता (हिन्दी) हैl आपको कविता लिखना अधिक पसंद है। आपके लेखन का उद्देश्य-मातृभाषा का विश्व में प्रसार करना है।
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