माता की चौकी सजेगी,,
घर में मां की ज्योति जगेगी,,
नवरात्रि के व्रत आए हैं,,
घर में मां की प्रीत निभेगी,,
दीपक जलता ही रहेगा,,
कलश भी फूलों से सजेगा,,
माता का श्रृंगार भी होगा,,
चुनरी भी नारियल से बंधेगी,,
भजनों का जयकारा होगा,,
हर गीत नया मां का प्यारा होगा,,
अब मन्नत के धागे बंधेगे,,,
माँ के फिर से दरबार सजेंगे,,
कहीं कीर्तन कहीं जगराते हैं,,
सब बड़े प्रेम से मां को बुलाते हैं,,
माँ के दरबार में सजदा है,,
सब मिलकर शिश झुका लो,,
पढकर माता की कविता को,,
दोनों हाथों को उठा लो,,
अबके माता खुशींयो से,,
“राणा” सबकी झोली भरेगी,,
#सचिन राणा हीरो
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