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शब्द समुच्चय मात्र नहीं है
संकल्प है एक
जो दुहराता है अपनी प्रतिबद्धता को
जिसने की है कोशिश चीरने की
निसीथ अंधकार को
स्व अस्तित्व की लौ से..
वह तुम्हें सीमाओं में बांध रहा था
रखा वरदहस्त उसने सतीत्व के रक्षार्थ
किया अलंकृत विभिन्न उपमाओं से
हाथ बढ़े और बढ़े
ले लिये रूप काल क्रूर पंजो के
अंगुलिया बनी प्रतिनिधि
नैतिकता समर्पण समाज धर्म की
पंजे कसते चले गये ..
हिल गया वजूद समग्र
उन चित्कारों से जो दफन थी
काल के परतों के नीचे
वो आंखे भी सहमी
जिसने लिया था एक्स रे कभी.
वो हाथ भी ठिठके जो
फुफकारते चले थे नोंचने को
मी टू से बेबस तीर भी चले
ग्लानि कुण्ठा अलोचना की प्रत्यंचा पर..
खण्डित हुई मनुजता
दो से अनेक हिस्से में
चढ़ी सीढ़ियां कई धर्म जाति लिंग के वास्ते
बने कितने समूह स्तम्भ
झुकाये जिसने राजदण्ड
जो उठी अंगुलियां उसके ओर
सरका दी पट्टी न्याय की देवी की
लेकिन नहीं बनी वोट बैंक कभी
कभी नहीं बैठी पंचायत
सुरक्षा व अधिकार के लिये
क्योंकि बिखरी पड़ी थी अनेक खाँचों में
पड़ी रही हाशिये पर
पुरूषों ने लिखा स्त्री विमर्श अपने भुजदण्डों से,
वक्त ने किया दीपित
जली है इक लौ
बेबस हो रहा भयावह अंधेरा
मशाल भी बनी लौ भी और वाहक भी
टूटेगीं वर्जनायें,जंजीरे और सखीचे भी
छोटी छोटी कड़िया बुन रही सुनहरा कल..
#अतुल पाण्डेय
परिचय-
नाम -अतुल कुमार पाण्डेय ‘यायावर ‘पिता का नाम- श्री वेद प्रकाश पाण्डेय ।पता-ग्राम पोस्ट बभनौली पाण्डेय,लार,देवरिया,उप्र।२७४५०२। योग्यता -गणित स्नातकोत्तर ,शिक्षा स्नातक ;प्रवक्ता_-श्री रैनाथ ब्रह्मदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय सलेमपुर ।
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