ऐसो को क्या कहोगे

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sanjay
किस किस को, में खुश करू।
और किस किस, की मै सुनु ।
कहने वाला सुनना, नही चाहता है।
सुनने वाला कुछ, कहाँ नही सकता।
विचित्र तमाशा है, इस दुनिंया का ।
जो एक दूसरे को, सुनना नही चाहते।।
मान सम्मान सब को चाहिए ।
पर खुद देना नही जानते ।
लेने का अधिकार हमारा है।
पर किसी को कुछ भी देना नही चाहते ।।
प्रश्न कुछ होता है और, उत्तर कुछ और देते है।
समझाने वाले कुछ और, ही समझ लेते है।
दोनों अपनी बुध्दिमानी दिखाते है।
पर लोगो की नजरो में, मूर्ख समझे जाते है।।
पर दोनों की बेशर्मी तो देखो l
इतना होने के बाद भी l
लोगो से नजर मिलते है।
बहुत ही मोटी चमड़ी ये होते है।।

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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