काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती

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rupesh jain

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती

परिणय की परिपाटी में तुम पर न्यौछावर हुआ

तुम्हें अपना वर्तमान और भविष्य माना

हर पग तेरे साथ चलने की कोशिश की, तुम में ही अपना सर्वस्व ढूँढा

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।

हर रात उठ-उठ कर तेरे चेहरे में ख़ुद को ढूँढा

हर सुबह उठ कर तेरे सोते हुये चेहरे का अजब सा मुँह मोड़ना देखकर ख़ुश हुआ

तेरे बालों की महक से तेरी थकान का अंदाज़ा लगा सकता हूँ

तेरे चेहरे की शिकन से तेरा मूड बता सकता हूँ

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।

हालांकि गुलाबी शूट और बैंगनी साड़ी तुम पे जचती है

गुलाब की चार पंखुड़ियाँ तेरी मुस्कान बढ़ाती हैं

सूरज की कुछ ही किरणों में तुम थक जाती हो

हवा के चंद झोंकों में ठण्ड से डर जाती हो

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।

घर के किसी भी कोने में जब तुम होती हो

क्या महसूस किया तुमने, हर थोड़ी देर में तुम्हें देख जाता हूँ

काली टी-शर्ट में तेरा सोता हुआ फोटो देख कर आज भी चहक जाता हूँ

सेवपुरी के दो टुकड़ों में तेरी मुस्कान अब भी दिखती है

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।

रेड लेबल चाय का बड़ा डिब्बा तेरे बड़े से मग की याद दिलाता है

मेरी कॉफ़ी का १० रूपये वाला पाउच अब भी तेरे चाय के डब्बे से शर्माता है

मैरून रंग की वाशिंग मशीन से जब फर्श पर पानी फैलता है

और डबल बेड की सरकती ट्रॉली तेरी याद दिलाती है

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।

तेरा छोटा सा डस्ट-बिन खाली पड़ा है

पुरानी कॉलेज की बॉय-कट बालों वाली फोटोज और फाईलें वैसी ही पड़ी हैं

तेरी तकिया से वही ख़ुशबू आती है

तेरे टेडी तेरी याद दिलाते हैं

काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।

 

#डॉ. रुपेश जैन ‘राहत’

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।