ये हवाएँ कुछ कहती हैं..

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aarav
पहले जल-सी शीतल थी,
अब आग के जैसे दहकती है..
सुनो इनकी आवाजों को,
ये हवाएँ भी कुछ कहती हैं।
पहले इनसे राहत थी,
अब यही तकलीफ देती है…
इसमें इनका कोई दोष नहीं,
हम इंसानों की ही गलती है…
सुनो इनके दर्द को,
ये हवाएँ कुछ कहती हैं।
ये भी पहले स्वच्छ हुआ करती थी,
अब बीमारी का कारण बन रही है…
इसमें भी दोष मनुष्य का है,
नहीं इनकी कोई गलती है…
सुनो इनके दर्द को,
ये हवांएँ कुछ कहती हैं।
किसी नारी की तरह ये भी,
मानव की क्रूरता का शिकार हुई…
जल की तरह ये भी प्रदूषण से अशुद्ध आज हुई,
चीख-चीखकर ये अपना दर्द जाहिर करती है…
कोई तो सुनो इनके दर्द को,
ये हवांएँ कुछ कहती हैं।!
जी रहे हैं हम जिससे,
वो हवा अब बदल रही है…
सुनो इनके दर्द को,
ये हवांएँ कुछ कहती हैं।
मत पहुँचाओ पीड़ा इनको,
इनको मत प्रदूषित आप करो…
जीना है तो स्वच्छ रहो,
पूरे देश को स्वच्छ आप करो॥
                                                                                            #आरव शुक्ला
परिचय : आरव शुक्ला अभी छात्र हैं,पर कविताएँ रचने का शौक रखते हैं। इनका निवास रायपुर के सुन्दर नगर (छत्तीसगढ़) में है। केवल पंद्रह वर्ष के आरव की जिंदगी को लेकर खुली समझ इनके लेखन को प्रदर्शित करती है।

matruadmin

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