बचपन

2
0 0
Read Time2 Minute, 5 Second

arun jain

खोया हुआ अपना,
बचपन ढूंढता हूँ..
पचपन की बातें,
नहीं लगती सयानी।

अभिमानों में अकड़ी,
जकड़ी जिंदगानी..
बंधनों में बंधी,
रेत होती कहानी।

वो चाँदी की थाली,
मिटटी के ढेले..
ईमली के चिएं,
नीम की निम्बोली।

कागज के रॉकेट,
पर ऊँची उड़ानें..
पतंगों के जोते,
हवाओं की चालें।

बस्ते का बोझा,
मीलो ही ढोना..
लड़ना झगड़ना,
जी भरके रोना।

कबड्डी,वो लंगड़ी,
घुटनों का छिलना..
नदी-पहाड़ों के,
संग साथ चलना।

छुपा-छाई में छुपना,
पकडंपाटी पकड़ना..
सुबहों की कट्टी,
शामों की बुच्ची।

कभी रेत में,
घरोंदे बनाना..
मिट्टी के घोड़े,
बारातें सजाना।

कभी ख्वाब में,
भूतों से मिलना..
परियो की दास्ता,
हँसना हंसाना।

स्याही दवात से,
कॉपी चितरना..
पेन्सिल से लिखना,
रबड़ खूब घिसना।

कॉमिक पढ़ना,
वेताल समझना..
चाचा चौधरी के,
साबू से मिलना।

पीपल के पत्ते,
पिंगानि बनाना..
आम के पत्तो से,
झालर सजाना।

रोटा पानी के,
बहुत खेल खेलै..
गुड्डे-गुड्डों की शादी,
मंडप सजाना।

खेल-खेल में नए,
रोज पाठ पढ़ना..
असल जिंदगी के,
सही माने समझना।

बचपन से अब तक,
जिए जिंदगी के हिस्से..
जर्रे-जर्रे भरे हैं किस्से,
खोया बचपन ढूंढता हूँ।!

      #अरुण कुमार जैन

परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

2 thoughts on “बचपन

  1. बचपन तैर गया आंखों के आगे!!!! अद्भुत रसपूर्ण रचना !!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

होली

Tue Mar 14 , 2017
भूलकर सारे गिले-शिकवे अपनों के, एक-दूसरे को हम रंग लगाएंगे। जिंदगी में भर दे खुशियाँ जो फिर से, इस बार होली ऐसी मनाएंगे। जो भी होगा रुठा मुझसे अभी तक, जाकर घर स्वयं उसके हम मनाएंगे। एकसाथ मिलेंगे हम सब फिर से, बचपन वाली वो होली फिर से मनाएंगे। बेरंग-सी […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।