बच्चों की आवश्यकताएँ  सर्वव्यापी है , जहाँ उन्हें ज्ञान देने की आवश्यकता है , वही उन्हें सम्मान देने की भी आवश्यकता हैं| उन्हें संस्कारी बनाना है तो उसे सुविचारी भी  बनाना है , उन्हें परम्परा और परिपाटी से परिचित   कराना है तो स्वयं करने और सीखने के मौके को  भी  […]

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तारों की बरात लेकर आ गए चन्दा मामा। दूल्हा बनकर दुनिया में छा गए चन्दा मामा॥ चन्दा मामा निकल पड़े हैं मामी की तलाश में। दर-दर भटक रहे हैं देखो बादल संग आकाश में॥ प्यारे-प्यारे सारे तारे भूल गए हैं रास्ता। भटक गए हैं,लटक गए हैं कैसे करेंगे नाश्ता॥ निशा-रानी […]

बच्चों मानव अंगों में छिपे हैं, ज्यामितीय आकृति के राज। कान लगे जैसै  हो अर्धवृत्त, बिंदु जैसी बनी प्यारी आंख॥ त्रिभुज  जैसी  बनी है  नाक, वक्र  रेखा-सी  लगे पलक। वृत्त जैसा लगे हमारा चेहरा, शंकु जैसे लगे सिर के बाल॥ रेखाखंड  जैसे  लगे  पैर, समानांतर चतुर्भुज हाथ। आयत-सी  बनी काया, […]

मेरे पापा कितने अच्छे, मेरे संग बन जाते बच्चे, मुझे अपनी पीठ बिठाते, सारे घर की सैर कराते, मेरी बातें ध्यान से सुनते, हरदम रहते मुझे निखारते पर,मेरे पापा हैं बड़े भोले, कभी नहीं मुझे डांट के बोले, कोई उनको कितना टटोले, मेरी गलती पर मुंह नहीं खोले, मुझको जैसे […]

कुछ आशाओं,कुछ सपनों को संजोते ये खिलखिलाते बच्चे, कभी जानी-पहचानी तो कभी अनजानी राहों पर उन्मुक्त हो, दौड़ते ये खिलखिलाते बच्चे। न ईर्ष्या,न द्वेष इन्हें किसी से, प्यार से दिल जीतते ये खिलखिलाते बच्चे। पर न जाने किस बोझ तले अंधेरी गलियों में गुम होते, चमचमाते खिलौनों से खेलते,अपने प्यारे […]

नटखट बंदर चला बजार, मम्मी से लेकर रुपए चार। मिठाई देख मन ललचाया, झटपट करने लगा सड़क पार॥ लाल रोशनी थी देख न पाया, टक्कर मार गई एक कार। गिरा बीच सड़क पर धड़ाम, करने लगा हाय राम…राम॥ बच्चों तुम भी रहो होशियार, जब भी करो सड़क को पार। दाएं-बाएं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।