दोस्तों,एक बात में आप सभी को बताना चाहूंगा कि, लेखक जो भी लिखता है उसे कितना कुछ सोचना पड़ता है और इसकी समीक्षा भी करनी पड़ती है कि, इस बात का हमारे समाज पर क्या कुछ असर पड़ेगा ? वो अपनी तरफ से पूरी कौशिश करता है कि,पाठको के लिए हम सही और सटीक शब्दों द्वारा अपनी बात सभी तक पहुंच सकें, परन्तु आजकल कुछ लोगों का तो सोचना एक दम विपरीत होता है। लेख कुछ भी और किसी भी विषय पर लिखें,उसके बारे में उन्हें जानकारी है या नहीं,यह समझे बिना ही अपनी टिप्पणी( कमेंट) बिना ही आलोचना कर डालते हैं। क्या ये उचित है ? लेखक को लेख लिखने में कितनी मेहनत करनी पड़ी,पर इसे समझे बिना ही कुछ लोग सिर्फ विरोध करने के लिए ही अपना टिप्पणी लिख देते हैं। तो क्या पाठको ने कभी यह सोचा कि,मैं क्या लिख रहा हूँ और इसका उस लेखक और बाकी के लेखकों-पाठकों पर किस तरह का सन्देश जाएगा। मैं ये नहीं बोल रहा कि,आप आलोचना मत करो,करो पर सही शब्दों के साथ पूरी स्नेह तुल्य भाषा द्वारा ही आप अपना विरोध दर्ज कराएँ। उससे व्यक्तियगत दुश्मनी की तरह नहीं लड़ें। अवश्य याद रखिए कि, लेखक ही समाज की कुरीतियों को सामने लेकर आता है। साथ ही समाज की आँखें भी खोल देता है।सभी पाठकों से अनुरोध करूँगा कि, वो पूरी शालीनता के साथ लेखक के लेख पर सभ्य भाषा में अपना विरोध व्यक्त करें,ताकि लेखक भी आपकी भावनाओं को समझ सके। लेखक के मन में किसी भी प्रकार की किसी के लिए कड़वाहट नहीं होती है,वो तो अपनी भावनाओँ को अपने लेखों के ज़रिए हमेशा ही व्यक्त करने की कौशिश करता है। वो किस तरह लिखता है,इससे कुछ लोगों का नाराज होना स्वाभाविक है,क्योकि इंसान का मन कभी भी स्थिर नहीं होता है। वो यहाँ से वहां भटकता रहता है,परन्तु कभी-कभी जीवन में कोई छोटी-सी बात हमारे मन को छू जाती है। वो फिर उस तरफ मुड़कर नहीं देखता है, जिसके परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। इसलिए दोस्तों, लेखक होने के कारण हमें भी कभी-कभी बहुत बैचैनी होने लगती है। आप अपनी राय या टिप्पणी अवश्य ही कीजिए,पर बहुत ही सोच-विचार करके आगे बढ़ें। बिना वजह के एक-दूसरे के प्रति मन मुटाव नहीं रखें। अपने भाईचारे के माहौल में ही रहकर पूरी मर्यादा के साथ अपनी बात रखें,क्योंकि आपकी टिप्पणी से ही उसे आगे की मंजिल मिलती है। अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें, ताकि लेखक ने गलत लिखा तो उसे सुधार सके। एक पक्ष यह भी देखिए कि,लेखक ऊपर से बहुत प्रसन्न होते हुए लेख आदि लिखता है और समाज की कुरीतियों पर ध्यान दिलाता है ताकि,समाज जागे,जबकि उसके सीने में भी दर्द छुपे हुए होते हैं। इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है कि, उसे कितना कुछ सुनना पड़ा होगा। अत,लेखक की भावनाओं को समझते हुए उसे ठेस पहुंचाए बिना टिप्पणी लिखिए।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।