परिचय: नगरीय पब्लिक स्कूल में प्रशासनिक नौकरी करने वाली सुशीला जोशी का जन्म १९४१ में हुआ है। हिन्दी-अंग्रेजी में एमए के साथ ही आपने बीएड भी किया है। आप संगीत प्रभाकर (गायन, तबला, सहित सितार व कथक( प्रयाग संगीत समिति-इलाहाबाद) में भी निपुण हैं। लेखन में आप सभी विधाओं में बचपन से आज तक सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों का प्रकाशन सहित अप्रकाशित साहित्य में १५ पांडुलिपियां तैयार हैं। अन्य पुरस्कारों के साथ आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा ‘अज्ञेय’ पुरस्कार दिया गया है। आकाशवाणी (दिल्ली)से ध्वन्यात्मक नाटकों में ध्वनि प्रसारण और १९६९ तथा २०१० में नाटक में अभिनय,सितार व कथक की मंच प्रस्तुति दी है। अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षण और प्राचार्या भी रही हैं। आप मुज़फ्फरनगर में निवासी हैं|
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ऐसा दीप कहाँ से लाऊँ।।
तमस नाश करता है दीपक
रोग शोक हरता है दीपक
पीर हरे जो किसी दीन की
ऐसा दीप कहाँ से लाऊँ।।
दीपक जलता जगमग- जगमग
चतुर्दिशा आलोकित लगभग
जो मन में उजियारा कर दे
ऐसा दीप कहाँ से लाऊँ।।
ज्ञान रूप जलता है दीपक,
शुभता भी लाता है दीपक
निर्बल को जो सबल बना दे
ऐसा दीप कहाँ से लाऊँ।।
उत्सव मेले रोज लगेंगे,
होली दीवाली खूब मनेंगे
जो नफरत तम दूर भगा दे
ऐसा दीप कहाँ से लाऊँ।।
जन्म मरण पर बैठा पहरा,
असमय मौत से हो छुटकारा
आत्मघाती को जो प्रकाश दे
ऐसा दीप कहाँ से लाऊँ।।
—-#सुशीला जोशी
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