“नारी की विवशता”

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subhashini bhardwaj
गा लो सुहाग के गीत आज ,,
हंस खेल सजालो साज सखी,,,
बलिदान हमारा आज सखी।
ढल गयी उमर, हो गये विदुर,,
जागा वैभव का तृष्णा स्वर,,
बन गयी जन्म-पत्री अनमिल,,
कुछ रजत ठीकरो के बल पर,,
चढ आये वर सज धज बरात ,
गिर पडी भाग्य पर गाज सखी
बलिदान हमारा आज सखी,,
पड गयी सखी री भवर सात,
थी मूक ना कह कुछ सकी बात,
अपनी असमर्थ अवस्था पर,,
कुछ लुढक पडी बूदे अनाथ,,
बरबस कहती प्राणनाथ,,
मुख की बेडी बन लाज सखी ,
बलिदान हमारा आज सखी,,
जो भाग्य लिखा कह मात-पिता,,
अपने बन्धन से मुक्त हुये,,
चंचल जीवन कण ले चुपके ,,
अरमान हमारे लुप्त हुये,
पंजर ले प्राण विदा होते,,
रो लेने दो टुक आज सखी,,
बलिदान हमारा आज सखी,,
अबलाए होती मूक प्राण,,
दुख को सुख लेती सहज मान,,
हंस गा लेती है रूदन गान,,
आचल भर लेती अश्रुदान,,
यह अश्रुदान ले डूबेगा,,
जर्जर निर्लज्ज समाज सखी,,
बलिदान हमारा आज सखी,,
गा लो सुहाग के गीत आज,,
हस खेल सजा लो साज सखी,,
#सुभाषिनी भारद्वाज( शुभी)
परिचय-
नाम– सुभाषिनी भारद्वाज
साहित्यिक उपनाम—-“आधुनिक मीरा”  कालेज द्वारा दिया गया नाम,, पुरस्कार सहित
राज्य–उत्तर प्रदेश
शहर—कानपुर
शिक्षा—वाणिज्य,स्नातक, लेखान्कन, पी•सी• एम(इन्टरमीडियट) एम• डी• सी टी , ए •डी •सी •ए , कोर्स आन कम्प्यूटर कानसेप्ट,, स्काउट एण्ड गाईड 
कार्यक्षेत्र– लेखान्कन
विधा–आलोचना, कहानी , कविता,
सम्मान— शिक्षा , साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र मे,
अन्य उपलब्धिया– कालेज स्तर प्रेसीडेन्ट,,  मेरी रचना अन्य मैगजीन मे प्रकाशित हो चुकी है, युवा महिला साहित्य संगम की महासचिव वर्तमान  (राट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि, श्री बिहारी लाल तिवारी “बाबा)  की शिष्या
लेखन का उद्देश्य–समाज को नयी दिशा प्रदान करना,, देश सेवा

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2 thoughts on ““नारी की विवशता”

  1. बहुत ही सुंदर व्यक्तितत्व है आपका ईश्वर आपके कार्यक्षेत्र में सफलता दे यही मेरी मंगल कामना है।शुभ आशीष ।

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