भूलकर वो अपने संस्कार सारे,
अब तहजीब टाँगने लगे…
जितने शरीफ लोग थे कल तक,
वो भी अब सीमा लाँघने लगेl
तासीर अब ये क्या हो गई,
इस ज़माने की यारों…
जिस बेटी ने छोड़ा,
परायों के लिए घर अपना…
कुछ बेवकूफ उसकी भी
कीमत माँगने लगेll
#हिमांशु सुथार
परिचय:हिमांशु सुथार का निवास उदयपुर(राजस्थान)के हिरण मगरी सेक्टर-१४ में हैl आपके लेखन की विधा श्रंगार एवं वीर रस में मुक्तक तथा कविताएं हैंl जन्मतिथि १९ सितम्बर १९९५ तथा शिक्षा बी.कॉम. हैl लेखन क्षेत्र में उभरना आपका शौक हैl