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लापसी न नुंगती खा रिया ,
और खा रिया दाल पूड़ी ।
किकर गला सु कव्वो उतरे ,
टूटे जद किणरी चूड़ी ।।
मौसर रा चटकारा लेवो ,
खूब दबा न जीमण जीमो ।
आधी उमर में बापू मर गियो ,
कोणी करवायो उणरो बिमो ।।
घरका रो रिया घणा जोर सु ,
वो दुखड़ो कोनी दिख रियो ।
मिनखा ने घणी टेंशन वे जावे ,
खाटी छा वालो नी दिख रियो ।।
मर गिया जो पाछा नी आवे ,
पण घरका ने दुःखी मति करो ।
मौसर करवा में पसीनो छूटे न ,
सगळा के रिया कलशिया भरो ।।
मरवा री टेंशन भूल जावे ,
समाज री टेंशन खा जावे ।
बारा दिन ताई सूबे शाम ,
बीड़ी,चाय न अम्ला छावे ।।
समाज रा तौर तरीका सु ,
धुजवा लागे गरीब परिवार ।
सगळो टोटको करणो पड़सी ,
भले घर में कोनी दाणा चार ।।
इण मौसर रा चक्कर माय ,
बेटा रे घणो कर्जो चढ़ जावे ।
रकमा गिरवी मेलनी पड़े न ,
खेत कुडा वेचना पड़ जावे ।।
परो बन्द करो इण मौसर ने ,
“जसवंत” करे समाज सु अरदास ।
मरवा वालों तो स्वर्ग जावेलो पण ,
लारला बण जासी कर्जा सु लाश ।।
नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )
पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)
माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी
धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )
शिक्षा – B.tech in Computer Science
व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा
राजसमन्द ( राज .)
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