ये बंजारों के दल

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shobha sharma

ओ नीलाम्बर में उड़ने वाले बादल
तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के दल ।

कभी तुम होते काले -काले
कभी होते रक्तिम आभा वाले,
थमा दिए हों सूरज ने हाथों में
मदहोशी भरे मदिरा के प्याले।

चलते हो तुम भेष बदल -बदल
तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के दल ।।

तड़ित चपला को छुपाते हो तुम
चमक जाती जब घबराते हो तुम,
घर्षण से डरा कर सबको तुम
फिर भयाक्रांत कर जाते हो तुम ।

अंबर में मच जाती चहल पहल
तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के दल ।।

धारों में अविरल बह जाते जब तुम
नहीं किनारों पर रुकते हो तब तुम ,
मिल कर समा जाते हो सागर में तुम
चलना ही जीवन है,सिखाते हो तुम ।

बहती धाराओं से मचा देते हो हलचल
तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के दल ।।

ओ नीलाम्बर में उड़ते बादल
तुम लगते जैसे ,कोई बंजारों दल ।।

श्रीमती शोभा शर्मा
शिक्षा :: बी.ए.–हिन्दी साहित्य , एम. ए.-अर्थशास्त्र – समाजशास्त्र ।
      भोपाल (मध्यप्रदेश)
प्रमुख – विधा ::– हिन्दी कविताएँ ,मुक्तक ,क्षणिकाऐं , मुक्त – गीत ।
अन्य विधाऐं ::– आलेख ,लघुकथा ,विभिन्न प्रमुख कवियों के काव्य पर आधारित कविताएँ ,एवं समीक्षात्मक काव्य सृजन ।
अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ ::– मालवी भाषा में  ::— गीत – कविताएँ , मालवी भाषा में –“” मालवा वृत्तांत “” किताब ।
बुन्देलखंडी भाषा में ::– गीत ,कविताएँ ।
आकाशवाणी बैतूल में एंकर —
गीत ,कविताओं का प्रसारण ।
आकाशवाणी भोपाल से प्रसारित कविताएँ  ।
दूरदर्शन भोपाल में क्षेत्रीय – मालवी भाषा में गीत प्रसारण ।
पुस्तक प्रकाशन : –  शीर्षक —“” मालवा – वृत्तांत “”
प्रकाशन वर्ष — 2018 

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