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*मन मेरा, मेरा दर्पण*
कितने सच
और
कितने झूठ
छिपा रखे हैं
तन में
मन में
ना तू जाने
ना वो जाने
जाने केवल उसको
मैं और मेरा मन
*मन मेरा, मेरा दर्पण*
************************
भले कर्म
और
बुरे कर्म
का पूरा हिसाब
लिखा रखा है
ना तू देखे
ना वो देखे
देखे केवल उसको
मैं और मेरा मन
*मन मेरा, मेरा दर्पण*
************************
सुख भी भोगे
दुःख भी भोगे
कुछ जोड़ा
कुछ तोड़ा भी
जोड़ बाकी
और
गुणा *भाग* का
गणित पूरा
लगा रखा है
ना तू समझे
ना वो समझे
समझे केवल उसको
मैं और मेरा मन
*मन मेरा, मेरा दर्पण*
*मन मेरा, मेरा दर्पण*
************************
#पिंकी परुथी ‘अनामिका’
परिचय: पिंकी परुथी ‘अनामिका’ राजस्थान राज्य के शहर बारां में रहती हैं। आपने उज्जैन से इलेक्ट्रिकल में बी.ई.की शिक्षा ली है। ४७ वर्षीय श्रीमति परुथी का जन्म स्थान उज्जैन ही है। गृहिणी हैं और गीत,गज़ल,भक्ति गीत सहित कविता,छंद,बाल कविता आदि लिखती हैं। आपकी रचनाएँ बारां और भोपाल में अक्सर प्रकाशित होती रहती हैं। पिंकी परुथी ने १९९२ में विवाह के बाद दिल्ली में कुछ समय व्याख्याता के रुप में नौकरी भी की है। बचपन से ही कलात्मक रुचियां होने से कला,संगीत, नृत्य,नाटक तथा निबंध लेखन आदि स्पर्धाओं में भाग लेकर पुरस्कृत होती रही हैं। दोनों बच्चों के पढ़ाई के लिए बाहर जाने के बाद सालभर पहले एक मित्र के कहने पर लिखना शुरु किया था,जो जारी है। लगभग 100 से ज्यादा कविताएं लिखी हैं। आपकी रचनाओं में आध्यात्म,ईश्वर भक्ति,नारी शक्ति साहस,धनात्मक-दृष्टिकोण शामिल हैं। कभी-कभी आसपास के वातावरण, किसी की परेशानी,प्रकृति और त्योहारों को भी लेखनी से छूती हैं।
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Sat Jul 7 , 2018
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