Read Time2 Minute, 29 Second
जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना /
संकेत प्रभु का तुम भूलना जाना, जिन्नेंद्रालाये चले आना /
जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना /
मैं पल छीन डगर बुहारूंगा, तेरी राह निहारूंगा /
आना तुम मंदिर, दर्शन को ,
श्रीजी की पूंजा तुम दिन करो /
जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना/१/
नित साँझ सबेरे मंदिर में , पूंजा भक्ति में करता हूँ /
और करता हूँ स्वाध्य, जिनवाणी का /
आत्म शुध्दि के महापर्व पर /
जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना/२/
जन्म जन्म से भाव सजोये थे , मुनि दीक्षा हम अब पाएंगे /
श्रध्दा भक्ति विनय समर्णपण का , कुछ तो दे दो फल /
मेरी दीक्षा विधा गुरुवर के , हाथो से बस अब हो /
ऐसा आशीर्वाद हे मुनिवर , मुझे आप ये दे दो /
जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना/३/
उपरोक्त भजन पयूषण महापर्व के उपलक्ष्य पर सभी जैन श्रावको संजय जैन की और से समर्पित है / उत्तम क्षमा सभी लोगो को , जय जिंनेद्र की
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
Post Views:
510