लेखनी क्यों कठघरे में

0 0
Read Time4 Minute, 0 Second
vani barthakur
      “लेखनी क्यों कठघरे में ” इस बात को ऐसे ही स्पष्ट नहीं किया सकता है । इसके कई ऋणात्मक और धनात्मक कारण हैं।
    रचनाकार हमेशा अपनी नजर में जैसा दिखता है अथवा उसके हृदय से जो निकलता है वही कलम के द्वारा कागज पर उतारता है । हर रचनाकार के लिए स्वयं की रचना खुद के बच्चों जैसी होती है । सभी चाहते हैं कि उसकी रचना पाठक का समादर प्राप्त करे। हर एक रचनाकार की विचार धारा भी अनेक होती है । किसी को धरती दिखाई देती है, किसी को अम्बर और कोई तो काल्पनिक जगत में घूमता रहता है । सभी के विचार युक्ति अलग – अलग होने के कारण हमेशा अच्छी रचना भी कठघरे में आ जाती है । जब अपने बेटा-बेटी सम रचना को लाकर कठघरे में खड़ा कर देते हैं तो रचनाकार के मन में अक्सर मायूसी छा जाती है और तब खुद को हारे हुआ लेखनीकार मान लेता है । मगर यह कतई उचित नही है । क्योंकि……कबीर दास जी ने अपनी एक साखी में लिखा है कि…….
  निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटि बँधाइ ।
  बिन साबण पाँणीं बिना, निरमल करै सुभाइ ।।
      अर्थात, निंदक को हमेशा अपने समीप रखना चाहिए,  अपनी आँगन में ही एक कुटिया बनाकर देना चाहिए । जैसे पानी और साबुन बिना कपड़े साफ नही होते है ठीक उसी तरह निन्दक बिना गलतियों को नही सुधार सकते हैं । इस कथन शत प्रतिशत सत्य है । रचनाकार के लिए यह बहुत जरूरी है कि रचना को कठघरे में लाया जाये।
       कभी-कभी देखा जाता है कि अच्छी रचना लोगों के नजर में नहीं आने की  वजह से समय पर इसे सम्मान नहीं मिलता । लेकिन बाद में जब कठघरे में लाते हैं अथवा कभी किसी का स्पर्श मिलते ही नजर आने लगती है। इसलिए मैं यही कहना चाहूँगी कि कोयले की खान को बहुत कष्ट से खोदने के बाद ही हीरा निकलता है ।
#वाणी बरठाकुर ‘विभा’
परिचय:श्रीमती वाणी बरठाकुर का साहित्यिक उपनाम-विभा है। आपका जन्म-११ फरवरी और जन्म स्थान-तेजपुर(असम) है। वर्तमान में  शहर तेजपुर(शोणितपुर,असम) में ही रहती हैं। असम राज्य की श्रीमती बरठाकुर की शिक्षा-स्नातकोत्तर अध्ययनरत (हिन्दी),प्रवीण (हिंदी) और रत्न (चित्रकला)है। आपका कार्यक्षेत्र-तेजपुर ही है। लेखन विधा-लेख, लघुकथा,बाल कहानी,साक्षात्कार, एकांकी आदि हैं। काव्य में अतुकांत- तुकांत,वर्ण पिरामिड, हाइकु, सायली और छंद में कुछ प्रयास करती हैं। प्रकाशन में आपके खाते में काव्य साझा संग्रह-वृन्दा ,आतुर शब्द,पूर्वोत्तर के काव्य यात्रा और कुञ्ज निनाद हैं। आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिका में सक्रियता से आती रहती हैं। एक पुस्तक-मनर जयेइ जय’ भी आ चुकी है। आपको सम्मान-सारस्वत सम्मान(कलकत्ता),सृजन सम्मान ( तेजपुर), महाराज डाॅ.कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (शिलांग)सहित सरस्वती सम्मान (दिल्ली )आदि हासिल है। आपके लेखन का उद्देश्य-एक भाषा के लोग दूसरे भाषा तथा संस्कृति को जानें,पहचान बढ़े और इसी से भारतवर्ष के लोगों के बीच एकता बनाए रखना है। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सो जाऊँ*

Mon Jul 16 , 2018
आज नहीं  मन पढ़ने का, आज नहीं,मन लिखने का। मन विद्रोही,निर्मम  दुनिया, मन की पीड़ा किसे बताऊँ, माँ के आँचल में सो जाऊँ। मन में कई तूफान मचलते, घट मे सागर भरे छलकते। तन के छाले घाव बने अब, उन घावों को ही सहलाऊँ, माँ के आँचल में सो जाऊँ। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।