ताउम्र के लिए सितम मेहमान हुआ मेरा
खाली ज़मीन खाली आसमान हुआ मेरा
कुछ आरज़ू नहीं है और जग के मालिक
सब जग से छूटा मगर भगवान हुआ मेरा
ग़म नही शहंशाह के बाशिंदों की दूरी से
जिसका सब कुछ सारा जहान हुआ मेरा
उसकी अदा में अब तक राख हो गया मैं
बखश देने वाला तो नूर-ए-शान हुआ मेरा
उतारता चला हूँ मुस्कान सबके चेहरे पर
बोए फ़सल का अच्छा लगान हुआ मेरा
बाँट दो दुनिया को नहीं चाहिए अब कुछ
ज़माने से खुबसूरत हिन्दुस्तान हुआ मेरा
कभी नहीं जिया किसी का खार बन कर
ऐसे नहीं ख़ुशबू से भरा बगान हुआ मेरा
ना देख सकी तकलीफ़ों उनकी मेरी आँखें
एक चुभन से दिल बहुत परेशान हुआ मेरा
बेकाम का जिस्म और जाँ वतन को छोड़
हँसते हुए सब सरहद पर क़ुर्बान हुआ मेरा
नाम:राजीव कुमार दास
पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)
सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६
गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७
पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७
शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७
काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८
आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८
एशियाई साहित्यिक सोसाइटी सम्मान:१७/०३/२०१८,१६/०४/२०१८,१६/०५/१८
श्री राधेकृष्ण पब्लिकेशन:चित्रपाठी अलंकरण सम्मान:२३/०४/२०१८
उड़ान:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:११/०७/२०१८
प्रकाशन:
शब्द अभिव्यक्ति:’नई उड़ान’:वाल्यूम ०१,०२,०३में कविताएँ व अन्य रचनाएँ प्रकाशित।
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