जीवन दॄष्टि

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साहित्यकार ज्योति जैन की ‘जीवन दृष्टी ‘ साहित्य की एक ऐसी खत्म होने की कगार पर खड़ी  ललित निबंध विधा को नई ऊर्जा प्रदान करती है | विभिन्न विषयों चिंतन,विचार और रचनाशील भावों को जमीनी स्तर पर तलाश कर उनमे गहराई से दृष्टि डालकर ‘जीवन दृष्टी ‘ अंक संजोया है | सेवा ही धर्म है  में -पथिक प्याऊ के करीब पहुँचा | इधर -उधर देखकर उसने सेठजी से कहा-‘पानी पीला दीजिए ” सेठजी क जवाब था अभी आदमी आता है |पथिक रुक गया | कुछ देर तक प्यास से आकुलता रहा फिर बोला “पानी पीला दीजिए “| पुनः सेठजी ने कहा ने कहा -अभी आदमी आता है “| प्यासा पथिक बोला -“सेठजी| कुछ देर के लिए आप ही आदमी (इंसान )बन जाइए | “यह सुनते ही सेठजी सकते में आ गए | बात का मर्म समझते ही उन्होंने उस व्यक्ति को पानी पिलाया व सेवा का अर्थ भी समझा | सेवा ही धर्म के प्रेरणादायक भरे एवं कई ललित निबंधों के प्रसंगों से जीवन दृष्टी

के जरिए वैचारिक मंथन को सुखद चेतना की प्राप्ति  होती है | नेतृत्व क्षमता – स्वयं की प्रेरणा से कार्य करें ,मिलनसारिता ,विनम्रता,आशावादी ,प्रशंसा सबके सामने:आलोचना अकेले में,स्वयं नियम पालन में स्वयं कठोर व औरों के लिए थोड़ा नरम ,कर्मठ होना ,अपना विकल्प तैयार करना के बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डालकर साहस और आत्मनिर्भर जैसे गुणों से मन में विश्वास की ज्योत साहित्यकार ज्योतिजी जैन ने जलाई एक पचास पृष्ठों में बेहतर ललित निबंधों का संग्रह साहित्य उपासकों के दिलों में अपनी पैठ अवश्य जमाएगा |
प्रथम संस्करण -जीवन दृष्टी 2018 
लेखिका -ज्योति जैन  इंदौर 
प्रकाशन -शिवना प्रकाशन  सीहोर 
मूल्य-175 /-रूपये   

#संजय वर्मा ‘दृष्टि’

परिचय : संजय वर्मा ‘दॄष्टि’ धार जिले के मनावर(म.प्र.) में रहते हैं और जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं।आपका जन्म उज्जैन में 1962 में हुआ है। आपने आईटीआई की शिक्षा उज्जैन से ली है। आपके प्रकाशन विवरण की बात करें तो प्रकाशन देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन होता है। इनकी प्रकाशित काव्य कृति में ‘दरवाजे पर दस्तक’ के साथ ही ‘खट्टे-मीठे रिश्ते’ उपन्यास है। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता की है। आपको भारत की ओर से सम्मान-2015 मिला है तो अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी सम्मानित हो चुके हैं। शब्द प्रवाह (उज्जैन), यशधारा (धार), लघुकथा संस्था (जबलपुर) में उप संपादक के रुप में संस्थाओं से सम्बद्धता भी है।आकाशवाणी इंदौर पर काव्य पाठ के साथ ही मनावर में भी काव्य पाठ करते रहे हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।