
आज भी याद है तुमसे वो पहली मुलाक़ात
हम तुम मिले थे ,हु ई थी मुसलाधार बरसात।
तुम्हारे हाथों में थी कोई डायरी,
मैं भीग कर कहने लगी थी शायरी।
रिमझिम बारिश और तुम्हारा प्यार,
मैं आहें भरती और ले रही थी दुलार।
दिन मानो थम सा गया था,
कदम हमारे रूक से ग ए थे।
दिल में एक ही डर था,
कैसे घर जाऊं,यही भय था।
तुम थे दिल के इतने पास
बन गये थे मेरे हृदय के खास।
बारिश में ही जज्बातों को कर दिया सरोबार
मेरा हाथ अपने हाथ लेकर ,कर दिये सपने साकार
आज भी याद है वो पहली मुलाक़ात
हम तुम मिले थे, हुईं थीं मुसलाधार बरसात।
रेखा पारंगी
बिसलपुर पाली राजस्थान।