सत्य की जीत जश्न विजयादशमी के नाम वक्त ऐसे बिताओ तुम भी ज़िन्दगी के नाम जब जमीं पाप सह ना सकी अवतार आए अंत असुर का हुआ यहाँ शक्ति देवी के नाम है वतन एक यही जहाँ नारी पूजे जाते पुण्य नवरात्र अष्टमी कुँवारी के नाम आस्था और जश्न आत्मा की शुद्धता में हो रहा आँख बाँधकर क्या पट्टी के नाम ख़ून पीना कहाँ कहा है वैदिक किताब नर संहार ना कभी हो पशुबलि भगवती के नाम भूलकर भी असत्य को ना महमान बनाओ दूध कब से पसंद हो हंस को पानी के नाम क्यों लगा पहले नाम के आगे ‘श्री’लंका में वैदेही राम संग जनक नन्दिनी के नाम नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई […]

हुनर हो गर सच में खुद को आफ़ताब बना लो तुझको अदब से पढ़ा करे ऐसी किताब बना लो आशियाने में सुकून बंटता रहे सुबह-शाम तक तमाम जिंदगी अपनी चमन का गुलाब बना लो गुज़रने के बाद भी वजूद हमारा सलामत रहेगा सफर के लिए मंज़िल को बेचैन ख़्वाब बना लो अंधेरों से परेशां लोग अब भी मिल जाएँगे तुम्हें अजनबी की हसरत का चेहरे पर ताब बना लो जमे हुए मिलते हैं सीने में कितने अनछुए पहलू खोटे सिक्कों के नाम भी अच्छा जवाब बना लो शीतल ज़ुबां के संग दिल में झरना भी रखा कर तपे रहने वालों के वास्ते दरिया तालाब बना लो नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई साहित्यिक सोसाइटी […]

नफ़रत नहीं दिलों की मिठास को छू लें आओ कि आकाश को छू लें बेदर्द सा जीने की गुज़ारिश न कर कोई ऑक्सीजन के मोहताज को छू लें उसके हुनर पे जल-जल बैठने से अच्छा कभ जीत की उल्लास को छू लें मन ताज़ा हो बग़ीचा में टहलकर सुबह अछूत का बच्चा उदास को छू लें अच्छा नहीं निकलना मुँह देखकर तुम्हारा पाखण्ड के सताए खरमास को छू लें परिंदे जात भूल जाते हैं विमान देखकर आओ कि आकाश को छू लें ना मज़हब होता ना दिलों से दूरियाँ अगर थोड़ा-थोडा बर्दाश्त को छू लें लूटा दिए हैं जुए में सारे मोहरे अब तक कभी दिल जीतने की ताश को छू लें ज़माने से बेख़बर को भी सपने दिखाया कर आओ कि आकाश को छू लें नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ […]

मत पूछो कोई रूह में समाए तो कहाँ तक जिन्दगी के हर तार धड़काए तो कहाँ तक मुझको लगता ही नहीं खुद में फकत मैं हूँ अंजान दिल में घर कर जाए तो कहाँ तक चाँद पर जाकर आसमां उतारने की ज़िद है बेख़बर मुझको दिवाना बनाए तो कहाँ तक ज़मीं गगन क्या है उसके तोहफ़े के लायक खुबसूरत ताजमहल भी बनाए तो कहाँ तक रब छीने जो चाहत के दम वापस ले आऊँगा दिल्लगी इब्तिदा अंजाम जाए तो कहाँ तक क़यामत का आख़िरी हसीं तराश लिया होगा क्या बताऊँ मैं नज़रों को लुभाए तो कहाँ तक कुदरत के इशारों को अदा में क़ैद कर ली है जाने मुद्दत को दर-बदर नचाए तो कहाँ तक नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई […]

  ताउम्र के लिए सितम मेहमान हुआ मेरा खाली ज़मीन खाली आसमान हुआ मेरा कुछ आरज़ू नहीं है और जग के मालिक सब जग से छूटा मगर भगवान हुआ मेरा ग़म नही शहंशाह के बाशिंदों की दूरी से जिसका सब कुछ सारा जहान हुआ मेरा उसकी अदा में अब तक […]

तुम्हारी नीली आंखें कभी कभी मुझको लगती है उस असीम नीले आसमान की तरह जो अक्सर मुझे अपनी आगोश में ले लेती हैं तुम्हारी नीली आंखें कभी कभी मुझको लगती है इस अगाध नीले समंदर की तरह जिनकी लहरों पर छितराता रहता हूँ मैं ये आंखें आसमान है या नीला […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।