चंदा मामा थे जो बचपन में
अब वह जानू प्रियतम हो गए।
किस्से वह बिक्रम बेताल के
व्यभिचारी डाल पर सो गए।।
सार्थकता वह पंचतंत्र की
फिल्मों में अब समा गई।
सुन्दर सुशील परियां अब
छली भयानक रूप दिखा गईं।।
अलाउद्दीन का चिरागी जिन्न
असभ्य पत्रिका से डर गया।
बीरबल उदास हुआ मीडिया ने
जब चुटकुलबाज उसे कह दिया।।
तेनालीराम बच्चों को भाए कैसे
भीम चुटकी का जो रंग चढा।
पढें पुस्तक क्यों बच्चे आखिर
मोबाइल का जो इतना प्रेम बढ़ा।।
गुल्ली डंडा छूटना था स्वभाविक
मोबाइल गेम हजारों जो हैं।
मां बाप समझते नीचापन अब
बच्चों का खेलना खो खो है।।
डोरेमान देखकर बच्चे अब
मेहनत से कतरियाते हैं।
स्कूलों में मैडम टैटुओं के
सहारे बच्चों को बहलाते हैं।।
दादी जी से भी दूरी हो गई
बच्चों को कहानी कौन सुनाए।
कह कभी-कभार भला बुरा
कौन बच्चों को नेक राह दिखाए।
#आशुतोष मिश्र तीरथ
जनपद गोण्डा