बसंत के रंग हुए ऐसे मेरे अंग संग, बदली मौसम ने चाल पेड़ों पर आए रंग बिरंगे फूल हुवा वातावरण सतरंगा खुशहाल। लहर उठी सरसों की सुनहरी बालियां पेड़ पौधों में आ गई नई कलियां खिलने को रही मचल बसंत ने लाया, रंग रूप उनमें अचल। हरी हरी डालियां ऊपर […]

मन बहुत व्यथित है। महिलाओं पर मैं अति शीघ्र नही लिखता। और न ही आज लिखना चाह रहा था।माताओं बहनों क्षमा करना। मैं बहुत दिनों से इस समय महिलाओं को कुछ ऐसे विषय पर लिखते देख रहा हूँ। बहुत बुरा लगता है। लिखेंगी फलाना फलाना, धमाका,  यह हमारा अधिकार है,हम […]

चंदा मामा थे जो बचपन में अब वह जानू प्रियतम हो गए। किस्से वह बिक्रम बेताल के व्यभिचारी डाल पर सो गए।। सार्थकता वह पंचतंत्र की फिल्मों में अब समा गई। सुन्दर सुशील परियां अब छली भयानक रूप दिखा गईं।। अलाउद्दीन का चिरागी जिन्न असभ्य पत्रिका से डर गया। बीरबल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।