प्रथम चरण में १ करोड़ भारतीयों का जनसमर्थन हासिल करेगी हिन्दी

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* मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए किया आंदोलन का शंखनाद

*१ करोड़ भारतीयों को बताया जाएगा हिन्दी क्यों होनी चाहिए भारत राष्ट्रभाषा

* जनसमर्थन के माध्यम से जुटेंगे भाषासारथी

इंदौर।

भारत की वर्त्तमान में कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा नहीं हैं, और इसीलिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान देशभर में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सम्पूर्ण राष्ट्र का समर्थन प्राप्त कर रही हैं।  इसी कड़ी में संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ एवं दल द्वारा जनसमर्थन अभियान की शुरुआत की गई और देश के १०० से अधिक हस्तियों का समर्थन हिंदी के लिए प्राप्त कर रहे हैं।  इसी के साथ संस्थान अब एक करोड़ से अधिक भारतीयों को पत्र, अणुडाक (ईमेल) के माध्यम से सन्देश भेजकर उसी में प्रतिज्ञा पत्र के साथ समर्थन पत्र का प्रारूप भेजा जायेगा। जल्द ही संस्थान मिस्ड कॉल सेवाओं के माध्यम से भी हिन्दी के लिए जनमत संग्रह करेगी।

        उक्त जनसमर्थन अभियान का का उद्देश्य हिंदी को भारत की आधिकारिक राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाना हैं, इस हेतु संस्थान ने आधिकारिक नारा जारी किया है- ‘ हिंदी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में’। संस्थान के हिन्दी भाषासारथियों और संगणक योद्धाओं का दल देश के सभी प्रान्त के हिन्दी प्रेमियों को संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जैन का पत्र और हिंदी आखिर क्यों भारत में स्थापित होनी चाहिए इस संशय निवारण हेतु लिखी पुस्तिका ईमेल, डाक आदि के माध्यम से प्रेषित किया जायेगा और उसी के साथ हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा पत्र और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन पत्र भेजा जायेगा, जिसे प्राप्तकर्ता द्वारा भरकर उस पर हस्ताक्षर करके मेल या डाक के माध्यम से पुनः भेजना होगा, जो बतौर समर्थन संस्थान द्वारा प्रधानमंत्री तक पहुंचा कर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग को पुरजोर रखा जाएगा। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए ट्वीटर, फेसबुक आदि माध्यमों से भी जनजागृति हेतु संस्थान के संगणक योद्धाओं द्वारा कार्य किया जाएगा।

गौरतलब है कि मातृभाषा उन्नयन संस्थान, मातृभाषा.कॉम, संस्मय प्रकाशन व हिन्दीग्राम मिलकर  विगत २ वर्ष से   देश भर में ‘हस्ताक्षर बदलों अभियान’ का संचालन कर रही है, जिसके अंतर्गत हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रेरणा देने के साथ प्रतिज्ञा पत्र भी भरवाया जाता है।  और वर्तमान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य से संस्थान जन समर्थन अभियान चला रही हैं,  हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के समर्थन के लिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ ने सोमवार से जनसमर्थन अभियान की शुरुआत की। देश की 100 बड़ी साहित्यिक हस्तियों के साथ लगभग हर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी डॉ. जैन व संस्थान के भाषासारथी मिलेंगे । संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जनसमर्थन अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत संस्थान के अध्यक्ष देश की 100 बड़ी साहित्यिक हस्तियों से मिलेंगे और उनका सम्मान भी करेंगे इसके अलावा संस्थान के पदाधिकारी, प्रदेश अध्यक्षों समेत संस्थान के 10000 वरिष्ठ भाषासारथी, हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए 10 हजार से ज्यादा प्रसिद्ध व्यक्तियों से मुलाकात करेंगे।

संस्थान की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन ने अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि ‘ संस्थान वर्तमान दौर के अनुसार हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु संगणक योद्धाओं का दल बना रही है, जिसका उद्देश्य हिन्दी सम्बंधित आंदोलन और जानकारियों को सोशल मीडिया आदि के माध्यम से राष्ट्रभर में पहुंचाएगा, जिससे राष्ट्र के हिन्दीभाषा प्रेमी एक जुट होंगे और हिंदी के गौरव की पुर्नस्थापना करने में अपना योगदान देंगे, इन्ही योद्धाओं के बल पर संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ के नेतृत्व में हम हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जनमत संग्रहण करेंगे और उचित मंच पर इसकी पैरवी करेंगे।’

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा लोगों से जनसंपर्क के माध्यम से जनमत संग्रहण किया जायेगा । आने वाले दिनों में डॉ.जैन व दल कुछ प्रमुख लोगों से मुलाकात का सिलसिला जारी रखेंगे। उक्त जानकारी संवाद सेतु रोहित त्रिवेदी ने दी ।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।