घर खुली जगह छत, पूरा आसमान, सोने को हरी-भरी दूब ओढ़ने को रजाई चमकते जुगनूओं की। फटी रजाई में कहीं-कहीं झांकते स्वच्छ दोपहरी सूखे मेघ, साथी की न कोई चिन्ता पवन हिलाए-डुलाए-नचाए, और उसकी लय पर थिरकता एक गरीब अधम मानव का मैला-कुचैला नंगा शरीर, छप्पर की छत से झांकते […]

हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। तेरे सारे पेड़ ये झूमें, हवा के शीतल झोंकों से मन भी कंपित-सा होकर, भरता पंछी बन उडारी। हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय, हवा में सारंगी के तार की लय झूम […]

मोहन बाबू और रमेश बाबू गाँव के सबसे बड़े जमींदार कहलाते थे,जमींदारी प्रथा तो समाप्त हो गई थी लेकिन जिसकी ज्यादा जमीन होती थी, वो जमींदार ही कहलाते थे। दोनों में दोस्ती थी,एक दूसरे में अटूट प्रेम था । मोहन बाबू चार बेटियों के पिता थे, इसलिए उनको ये चिंता […]

हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी।                तेरे सारे पेड़ ये झूमें,                हवा के शीतल झोंकों से                मन भी कंपित-सा होकर,           […]

मुझे क्या पता, ये दुनिया कैसी है? कैसा इसका रंग है कैसी इसकी सुन्दरता। मुझे न पता, मेरी मां कैसी है? कैसा उसका रूप है, कैसा उसका चेहरा। पता है तो सिर्फ मुझे, बस इतना है पता प्यारी होगी उसकी सूरत, जब इतनी प्या री है उसकी मुझपर ममता। मुझे […]

चूड़ी खनकाती, पायल छनकाती महकती-चहकती, तुम आ ही जाओ। प्रिये मेरे जीवन में। मेरी आंखें घर के, दरवाजे पर टिकी हैं तुम्हारे स्वागत के लिए, एक ही जगह रूकी हैं इन्हें इंतजार तुम्हारा है, ना इन्हें और तड़पाओ प्रिये तुम आ ही जाओ। सूनी चौखट, सूना घर, पूरा खाली है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।