साज़िशें बनती रही मुझको मिटाने की, मैं इनायतें समझती रही ज़माने की, रखती हूं हौंसला आसमान को छूने का, परवाह नहीं करती ज़मीन पर गिर जाने की, तज़ुर्बे से गिन लेती हूँ उड़ती चिड़िया के पर, आदत नहीं मुझे हवा में तीर चलाने की, उठती रही मैं हरबार ज़िंदादिली के […]