सृजन सृष्टि का चलता प्रतिपल, सरिधार बहे ज्यों निर्झर कल-कल। प्रश्न जुड़े जब ‘कारण’ से, एक नूतन सिरजन अस्तित्व लिए, नव शोध,निष्कर्ष, निर्धारण से। एक सोच लहर-सी आती है, मन चेतन सजग बनाती है, सब इंद्रियां संचालित हो जाती हैं, एक चक्र सृजन का चलता है, कुछ नवल नया गढ़ […]