मैं गीत विरह के गाता हूं… अधरों से जब-जब अधर मिले, मैं मंद-मंद मुस्काता हूं। मैं गीत…ll जहां शीतल हृदय,है तपन वहीं, है मिलन जहां,बिछड़न भी वहीं। तब प्रणय गीत का मर्म समझ मैं, गीत विरह के गाता हूंl मैं गीत…ll सावन आता,वर्षा आती, बादल से बूंदें लुट जाती। शाम […]