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जिंदगी की कल्पना करूं या,मौत लिखूं.. मैं लिखूं तो आखिर किस पर लिखूं । फूलों की क्यारियों में है कांटों की चुभन भी, महकते कश्मीर में है बारूद की धमक भी.. इंसान की मासूमियत कहूं या जुल्म लिखू मैं, लिखूं तो आखिर किस पर लिखू मैं । एकता में घुल […]

मैं नदिया हूँ, चुलबुली, आज़ाद.. निराली हूँ। ज़मीन पर रहकर, आसमाँ को समाती हूँ। मुझसे खुशियां, मुझसे ही दुःख.. लहराती हूँ,पर उड़ नहीं पाती हूँ। मन आए तो, राह बदलती हूँ.. सागर की तरह नहीं, जो राह न बदल सके, मैं नदिया हूँ..।  #नेहा लिम्बोदिया परिचय : इंदौर निवासी नेहा […]

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-प्रभु जोशी अंग्रेजों के शताब्दियों तक जर-खरीद गुलाम रहे भारत जैसे मुल्कों के बीच, वहां के मीडिया द्वारा बहुत कारगर युक्ति से यह मिथ्या-प्रचार लगातार किया जाता रहा है कि अंग्रेजी ही ‘विश्वभाषा‘ है और उसका कोई ‘विकल्प‘ नहीं है। लेकिन अब सबसे बड़ी विडम्बना यही होने जा रही है […]

श्रीमती माला महेंद्र सिंह, (एम एस सी, एम बी ए, बी जे एम सी,) गोद भराई के एक पारिवारिक कार्यक्रम में जाना हुआ। सभी बहुत उत्साहित थे, लड़के की माँ नंदिनी ने अपनी छोटी भाभी से कहा,”सुमन भाभी आओ सबसे पहले गोद आप ही भरोगी”। मेरे पास बैठी श्रीमती मिश्रा […]

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अर्पण जैन ‘अविचल’ ये उँची-लंबी, विशालकाय बहुमंज़िला इमारते, सरपट दौड़ती-भागती गाड़ीयाँ, सुंदरता का दुशाला औड़े चकमक सड़के, बेवजह तनाव से जकड़ी जिंदगी, चौपालों से ज़्यादा क्लबों की भर्ती, पान टपरी की बजाए मोबाइल से सनसनाती सभ्यता, धोती-कुर्ते पर शरमाती और जींस पर इठलाती जवानी, मनुष्यता को चिड़ाती व्यवहारशीलता, मेंल-ईमेंल में […]

मोदी जी… आप 8 नवम्बर को सही थे या अब 29 नवम्बर को सही हैं..? कृपया  देश की जनता को बताएं… कालेधन के रद्दी कागज को नोटों के रूप में फिर जिंदा क्यों किया राजेश ज्वेल (9827020830) यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।