देहरी करती प्रतीक्षा राह तकते द्वार भी मन है व्याकुल देखना चाहे नयन के पार भी जाने कितनी दूर जा पहुंचे नगर से दूर तुम हर दिशा यादें तुम्हारी दृश्य दूजे सारे गुम सूख कर सहरा हुए हैं ये नयन के धार भी… अर्थ का तब अर्थ क्या जब दिन […]
हाँ से खीर बनकर आ रही है । यहाँ खिचड़ी खिलाई जा रही है । इरादा था जहाँ पर हाइवे का लो पगडंडी बनाई जा रही है । किया था वायदे में बाँस पूरा लो अब लाठी थमाई जा रही है । कहा था पेड़ पीपल के लगेंगे वहाँ तुलसी […]
ये क्या कहा,ये कैसी हैरानी की बात की, सहराओं के प्यासों से क्यूँ पानी की बात की। मिलता रहा सुकून मुझे उसके शानो पर, फिर इश्क मोहब्बत के मानी की बात की। एहसास कभी उसके भुलाने को जो चले, हर शख्स से फिर उसकी निशानी की बात की। लैला नहीं,सोहनी […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।